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इश्तिहाऱ बन गए हैं जनाब

इश्तिहाऱ बन गए हैं जनाब

- डॉ लोक सेतिया बड़बोला होना कोई गुण नहीं समझा जाता है , इक कवि की कविता है जिस में कवि कहता है कि बौने किरदार वाले लोग पर्वत की चोटी पर चढ़ कर समझते...

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