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ललित सुरजन की कलम से — पुस्तकों से लगाव
बाबूजी के पढ़ने का दायरा यूं तो बहुत विस्तृत था, लेकिन मुख्यत: वे हिन्दी व विश्व साहित्य तथा समकालीन राजनीति व राजनीतिक इतिहास में ज्यादा रुचि रखते थे।...

