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तीन युवा कवियों की पदचाप : त्रिपथ
- राज बोहरे शायद वो समझ गया है कि/ वह अब अकेला ठूंठ सा ही रहने वाला है / किसी अनचाहे बुजुर्ग की तरह/ और गांव तो अब केवल एक जगह बन गया है /अपने यौवन की...

