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शीर्ष अलगाववादी नेता को स्थायी रूप से संगठन से बाहर निकाला

यूएनएलएफ के पूर्व अध्यक्ष खुंडांगबम पानमेई को "संवेदनशील सूचनाओं को लीक करने एवं अन्य नेताओं को फंसाकर दुश्मन के साथ मिलीभगत" के आरोप में स्थायी रूप से संगठन से निष्कासित कर दिया गया है

शीर्ष अलगाववादी नेता को स्थायी रूप से संगठन से बाहर निकाला
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इम्फाल। वर्ष 1964 में स्थापित यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के पूर्व अध्यक्ष खुंडांगबम पानमेई को "संवेदनशील सूचनाओं को लीक करने एवं अन्य नेताओं को फंसाकर दुश्मन के साथ मिलीभगत" के आरोप में स्थायी रूप से संगठन से निष्कासित कर दिया गया है। यूएनएलएफ की एक विशेष बैठक में इस बाबत निर्णय लिया गया।

इस विशेष बैठक का आयोजन विद्रोही समूह के मुख्यालय जीएचक्यू नीना शांग में किया गया था। यह संभवत: मणिपुर-म्यांमार सीमा पर स्थित है। 15 फरवरी को यह विशेष सत्र आयोजित किया गया था।

यूएनएलएफ की केंद्रीय समिति द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि संगठन की केंद्रीय समिति ने पानमेई के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक विशेष तथ्य खोज समिति का गठन किया था।

बयान में कहा गया कि पानमेई के खिलाफ जो भी आरोप लगे थे, वे सही पाए गए और यूएनएलएफ ने 15 फरवरी, 2021 से तत्काल प्रभाव से पानमेई के साथ सभी संबंधों को खत्म करने का फैसला किया है।

यूएनएलएफ के इस फैसले के बारे में पानमेई की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या संगठन के भीतर उनके कुछ अनुयायी हैं जो अब बाहर आ सकते हैं और आत्मसमर्पण कर सकते हैं। न ही यह स्पष्ट है कि क्या अब पानमेई औपचारिक रूप से सुरक्षा बलों या मणिपुर सरकार के सामने आत्मसमर्पण करेंगे।

गौरतलब है कि मणिपुर की भाजपा की अगुवाई वाली सरकार इन समूहों को वार्ता के लिए मेज पर लाने में विफल रहने के बाद यूएनएलएफ और इम्फाल घाटी-आधारित अन्य विद्रोही संगठनों के नेताओं से आत्मसमर्पण कराने की कोशिश कर रही है।

नागा विद्रोही समूह एनएससीएन (आई-एम) भारत सरकार के साथ अंतिम समझौते पर बातचीत कर रहा है। इसने मणिपुर के नागा क्षेत्रों से अपने शीर्ष नेतृत्व को वापस बुला लिया है।

मणिपुर के कुछ सियासी नेता चाहते हैं कि इम्फाल घाटी-आधारित संगठनों को वार्ता की मेज पर बुलाया जाए ताकि नागा समझौता के परिणामस्वरूप मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता के एक समझौते की संभावना को अवरुद्ध किया जा सके।

यूएनएलएफ के संस्थापक अध्यक्ष राजकुमार मेघेन उर्फ सनायिमा को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया और चुपचाप दिसंबर 2010 में भारत को सौंप दिया गया था। बाद में बिहार में उसकी गिरफ्तारी दिखाई गई।

10 साल की जेल की सजा पूरी होने से दस महीने पहले, नवंबर 2019 में उसे जेल में उसके 'अच्छे आचरण' के लिए गुवाहाटी जेल से रिहा कर दिया गया था।

उसकी रिहाई ने इन अटकलों को हवा दे दी कि मेघेन भारत सरकार के साथ बातचीत कर सकता है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।

असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुखदेव सांगवान कहते हैं कि इम्फाल घाटी में उग्रवाद काफी हद तक नियंत्रण में है। सांगवान ने हाल ही में बताया था कि उनके बल ने सैन्य रूप से घाटी के विद्रोहियों का पूरा टोह ले लिया था और अब उनकी "आय के स्रोत" पर वे ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।


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