टॉयलेट घोटाले में हो सकता है बड़ा खुलासा
नगर निगम के 48 वार्डों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए जा रहे टॉयलेट में घपला कर सात हजार से भी अधिक टॉयलेट बनाने में करीब तीन दर्जन ठेकेदार लगे थे

रायगढ़। नगर निगम के 48 वार्डों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए जा रहे टॉयलेट में घपला कर सात हजार से भी अधिक टॉयलेट बनाने में करीब तीन दर्जन ठेकेदार लगे थे, लेकिन अब इसमें कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रशासन के सख्त रवैय्ये से नगर निगम में हड़कप की स्थिति निर्मित हो गई है।
विदित रहे कि इस समाचार को कई समाचार पत्रों ने प्रमुखता के प्रसारित किया था। रायगढ़ नगर निगम क्षेत्र में जिन गरीब हितग्राहियों के मकानों में शौचालय नहीं थे। उनके लिए सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत आर्थिक सहायता राशि दी, ताकि निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों को खुले में शौच न करें, लेकिन नगर निगम की राजनीति और कार्यशैली इतनी दूषित हो चुकी है कि रसूखदारों ने अपने ही लोगों को ठेका दिलवा दिया। इन ठेकेदारों ने मनमानी पूर्वक शौचालय का निर्माण करवाया।
कहीं हितग्राही का नाम बदल दिया गया, तो कहीं मकान मालिक के अलावा किराएदारों के मकानों में भी टॉयलेट स्वीकृत कर दिए। निगम क्षेत्र के 48 वार्डों में करीब 7100 टॉयलेट स्वीकृत किए गए। करीब 6170 शौचालय का निर्माण पूरा दिखाकर 11.31 करोड़ का भुगतान भी करवा लिया गया। जबकि इतने शौचालय तो बने ही नहीं है। इस समाचार को कई अखबारों ने प्रकाशित किया था। राज्य शासन के आदेश के बाद अब कलेक्टर शम्मी आबिदी ने टॉयलेट घोटाले मामले में विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं। कलेक्टर ने सीईओ संजय चंदन त्रिपाठी, डिप्टी कलेक्टर रूचि शर्मा, ईई आरईएस और ईई पीएचई की कमेटी को जांच करने को कहा है।
इससे पहले कलेक्टर ने जांच के आदेश कुछ दिन पहले ही दे दिए थे, लेकिन कमेटी गठन का ड्राफ्ट जब आया तो उसमें निगम आयुक्त विनोद पांडेय का नाम भी सदस्यों में शामिल था। कलेक्टर ने समिति में संशोधन करने का कहा क्योंकि वह चाहती थी कि जांच पूरी निष्पक्षता व पारदर्शिता के साथ हो।
कलेक्टर ने निगम से किसी को भी कमेटी में शामिल नहीं करने का आदेश दिया। इसके बाद निगम आयुक्त का नाम जांच समिति से हटा दिया गया है। इस संबंध में जिले की कलेक्टर शम्मी आबिदी का कहना है कि निगम में शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर चार सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए गए हंै। उनका कहना है कि जांच टीम सभी मामलों में मौके पर जाकर अपनी रिपोर्ट बनाएगी। साथ ही साथ उन्होंने इस बात को गंभीर माना कि टायलेट बने भी नही भुगतान हो गया और यह वित्तीय अनियमितता का मामला है। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि समिति अपनी जांच को जल्द से जल्द करें।
इसके लिए आवश्यक निर्देश भी जारी किए गए है और जांच प्रभावित न हो उसमें इस बात का ख्याल रखा गया है कि समिति में निगम का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी शामिल नही किया गया है।


