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टमाटर दो रूपए किलो, किसानों ने खेत में छोड़ी फसल

 बाजार में टमाटर के भाव इस कदर गिर गए है कि किसान को टमाटर तोड़ कर बाजार तक लाने की मजदूरी भी नही मिल रही है उसके चलते किसानों ने टमाटर को खेत में छोड़ दिया है

टमाटर दो रूपए किलो, किसानों ने खेत में छोड़ी फसल
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तखतपुर। बाजार में टमाटर के भाव इस कदर गिर गए है कि किसान को टमाटर तोड़ कर बाजार तक लाने की मजदूरी भी नही मिल रही है उसके चलते किसानों ने टमाटर को खेत में छोड़ दिया है।

पिछले साल जब टमाटर की कीमतें छत्तीसगढ़ में कम हो गई थी और किसानों को जब उनकी मजदूरी भी नही मिल रही थी और बाजार में टमाटर की आवक काफी बढ़ गई थी और टमाटर लेने वाले की रूची टमाटर में खतम हो गई थी तब छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर टमाटर को सड़कों पर फेंक कर वाहनों से रौंद दिया था। इस बार फिर टमाटर की फसल काफी अच्छी है पर आवक अधिक होने के कारण इस शादी के सीजन में भी थोक बाजार में टमाटर 2 से 3 रूपए प्रति किलों और चिल्हर बाजार में यहीं टमाटर 5 रूपए प्रतिकिलों बिक रहा है टमाटर की कीमत होने से किसान को खेत में टमाटर को तोड़वाकर उसे मजदूरों के माध्यम से बाजार तक लाने की मजदूरी भी नही मिल रही है।

एक कैरेट में लगभग 20 किलो टमाटर आता है जिसकी कीमत 50 से 60 रूपए है और एक साईकिल में एक मजदूर दो कैरेट से अधिक नही ला पाता है और मजदूर की मजदूरी ही लगभग सौ रूपए होती है। किसान ने टमाटर खेत में तोड़वाने के लिए जो मजदूरी दी है उसकी भी भरपाई नही पाती है।

जानवर को खिला देते

सब्जी बाजार में चिल्हर सब्जी बेचने वाली महिला ने बताया कि पहले थोड़े से कमजोर टमाटर के दाम मिल जाते थे पर अब इन टमाटरों को कोई भी लेने को तैयार नही होता जिसे छांटकर प्रतिदिन मवेशियों को दे देते हैं पिछले कुछ समय तक लगातार मौसम खराब होने और टमाटर की आवक अधिक होने से चिल्हर बाजार में टमाटर की कीमत 4 से 5 रूपए प्रतिकीमत हो गई है। टमाटर सस्ते होने के कारण इनकी बिक्री भी कम हो गई है।

केचप 147 रूपए किलो

बाजार में टमाटर के भाव हमेशा कम रहते है और इन दिनों टमाटर के भाव पानी के मोल से भी कम हो गए है पर मल्टीनेशनल कम्पनियां जो टमाटर का केचप बनाती है वे मलाई खा रहे है और किसी भी तरह का टमाटर केचप के दाम कम नहीं हो रहे है बाजार में अच्छी कम्पनी नेशले कम्पनी का टमाटर केचप 147 रूपए एमआरपी पर बिक रहा है वहीं अन्य कम्पनियों के टमाटर केचप भी 80 रूपए से 130 रूपए किलों की दर पर बिक रहे है किसानों को वास्तविक कीमत मिल सके शासन की ऐसी रणनीति नही होती है जिसके चलते देश के किसानों को उसके वास्तविक मेहनत का लाभ उसे नही मिल पाता और बड़ी बड़ी कम्पनियां इसी टमाटर से कैचप बनाकर लाल हो गई है।


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