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टोकन काउंंटर बंद, वेंडिंग मशीनें भी पड़ीं खराब

 मेट्रो अब लोगों की लाईफ लाइन बन चुकी है

टोकन काउंंटर बंद, वेंडिंग मशीनें भी पड़ीं खराब
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नई दिल्ली। मेट्रो अब लोगों की लाईफ लाइन बन चुकी है। सुरक्षित और ट्रैफिक मुक्त सफर के लिए लोग मेट्रो को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन मेट्रो सफर में अब सुविधाएं कम और मुश्किलें अधिक हो रही हैं। कई स्टेशन पर टोकन काउंटर बंद कर दिए गए हैं जबकि वेंडिंग मशीनें भी अक्सर खराब रहती हैं।

इससे टिकट के लिए ही खासी मुश्किल हो जाती है। सुरक्षा व्यवस्था की हालत यह है कि सीढ़ियों पर कुत्ते सोए रहते हैं, जिनसे बचते हुए यात्रियों को निकलना पड़ता है। सेक्टर-15 और सेक्टर-16 मेट्रो स्टेशन पर सुविधाओं की वास्तविकता जानने पर असुविधाएं देखीं गईं।

सेक्टर-16 मेट्रो स्टेशन पर टिकट लेने और रिचार्ज कराने के लिए 6 वेंडिंग मशीनें लगी हुई हैं। सुबह 9 बजकर 48 मिनट पर दो वेंडिंग मशीनें खराब पड़ी मिलीं। टोकन ले रहे सौरभ ने बताया कि अक्सर मशीनें खराब रहती हैं। इस वजह से सुबह और शाम के समय बहुत भीड़ लग जाती है। दूसरे मेट्रो स्टेशनों पर भी यही हाल रहता है।

सीढ़ियों पर मिलते हैं श्वान

मेट्रो स्टेशन की सुरक्षा सबसे ज्यादा अच्छी मानी जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी सीढ़ियों पर कुत्तेे सोते रहते हैं। सेक्टर-16 मेट्रो स्टेशन की सीढ़ियों पर कुत्ते बैठे मिले। मेट्रो अधिकारी यात्रियों को विभिन्न सुविधाओं का दावा करते हैं लेकिन जब असुविधाओं को लेकर सवाल उठाए जाते हैं तो खुलकर सामने नहीं आते। अधिकारियों की लापरवाही व कर्मचारियों के प्रति ढीला रूक परेशानियों का सबब बन रहा है।

गौरतलब है कि दिल्ली मेट्रों में यात्रियों की परेशानी का सबब बन रही बार-बार होने वाली गड़बड़ी पर केंद्र सरकार ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन से रिपोर्ट तलब की थी। डीएमआरसी से गड़बड़ी की वजहों और उन्हें दूर करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देने को कहा गया था। एक सूत्र ने कहा कि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीएमआरसी से मेट्रो में आई गड़बड़ी की जांच करने को कहा जिससे यात्रियों को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ा। सूत्र ने कहा कि डीएमआरसी से विभिन्न खंडों में ऐसी घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।

मेट्रो पिलर पर लगे भद्दे पोस्टर खूबसूरती पर लगा रहे ग्रहण

शहर की सूरत को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। अतिक्रमण और अवैध पार्किंग ही नहीं, बल्कि शहर की शान कहलाने वाली मेट्रो के पिलर भी आमदनी का जरिया बन गए हैं। पिलरों पर लगे भद्दे पोस्टर मेट्रो की खूबसूरती पर ग्रहण लगा रहे हैं, लेकिन इससे निपटने की योजना न तो दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) के पास है और न ही नोएडा प्राधिकरण के पास। हालांकि, दिल्ली में वर्टिकल गार्डन का फॉर्मूला अपनाकर मेट्रो के पिलर खूबसूरत बना दिए गए हैं।

देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार गाजियाबाद भी मेट्रो पिलर के जरिये हरियाला का संदेश देने जा रहा हैए लेकिन उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा में हालात खराब हैं।

डीएमआरसी के नियम भी बेकार

डीएमआरसी की विज्ञापन नीति है और उसकी संपत्ति पर अवैध तरीके से विज्ञापन या पोस्टर लगाने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। कुछ साल पहले डीएमआरसी की तरफ से केस दर्ज कराए गए थेए लेकिन पोस्टर माफिया पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। अवैध विज्ञापन व पोस्टरबाजी के लिए मेट्रो के पिलर सबसे मुफीद बने हैं।


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