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गरीबी, बेरोजगारी और बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त कर आरएसएस किसे देना चाहता है संदेश?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भले ही कभी खुल कर यह स्वीकार नहीं किया है कि भाजपा उसका एक आनुषंगिक संगठन है

गरीबी, बेरोजगारी और बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त कर आरएसएस किसे देना चाहता है संदेश?
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भले ही कभी खुल कर यह स्वीकार नहीं किया है कि भाजपा उसका एक आनुषंगिक संगठन है लेकिन इसके बावजूद यह सब जानते हैं कि आरएसएस की नीति, रणनीति और बयान का भाजपा के लिए कितना ज्यादा महत्व है। यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के हाल ही में गरीबी, बढ़ रही बेरोजगारी और आय की असमानता को लेकर दिए गए बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। संघ में मोहन भागवत के बाद नंबर दो की हैसियत रखने वाले दत्तात्रेय होसबाले के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं और विपक्षी दल भी इस बयान के सहारे सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह बयान किसके लिए था? आखिर दत्तात्रेय होसबाले अपने इस बयान के जरिए किसे और क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे थे? संघ नेता के इस बयान के राजनीतिक मायने क्या है? और केंद्र में सरकार चला रही भाजपा उनके इस बयान को कैसे देख रही है?

दत्तात्रेय होसबाले ने जिस स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित वेबिनार कार्यक्रम में गरीबी, बेरोजगारी और अमीर-गरीब के बीच लगातार बढ़ती जा रही आय की असमानता को राक्षस जैसी चुनौती बताते हुए इन समस्याओं का खात्मा करने की वकालत की थी। उसी स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ अश्विनी महाजन ने आईएएनएस से बात करते हुए यह दावा किया कि इस बयान का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इस बयान पर राजनीति करने वाला दल ही तो इन सारी समस्याओं के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर देश के कई पूर्व प्रधानमंत्री इन समस्याओं को बड़ी चुनौती बता चुके हैं और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे बड़ी चुनौती मानते हैं तो इसमें राजनीति कहां से आ गई।

महाजन ने आगे कहा कि दत्तात्रेय होसबाले ने जो बोला है वह कोई नई बात नहीं हैं। संघ तो दत्तोपंत ठेंगड़ी के जमाने से ही यह कह रहा है कि आर्थिक विकास का जो जीडीपी मॉडल हमने अपनाया है वह सही नहीं है। जीडीपी बढ़ने का यह मतलब नहीं होता कि गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्या खत्म हो गई। उन्होंने कहा कि संघ का हमेशा से यह मानना रहा है कि जब हम उत्पादन के बारे में विचार करें तो हमें रोजगार, समानता और वितरण के बारे में भी विचार करना चाहिए। मोदी सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काफी कुछ काम कर रही है जिसके सकारात्मक परिणाम भी आने लगे हैं लेकिन आगे अभी बहुत कुछ और करने की जरूरत है और संघ इसे एक अवसर के रूप में देख रहा है।

क्या दत्तात्रेय होसबाले का बयान भाजपा के लिए कोई संदेश है, इस सवाल का जवाब देते हुए महाजन ने कहा कि इसी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि यह सरकार से ज्यादा पूरे समाज के लिए एक संदेश है और हम सब को मिलकर इन दानवों (गरीबी, बेरोजगारी और असमानता) का वध करना है। महाजन ने संघ की रणनीति और योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि संघ सिर्फ बातें ही नहीं कर रहा है बल्कि इन समस्याओं के समाधान के लिए जमीनी धरातल पर काम भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, सहकार भारती, विद्या भारती,सक्षम, दीन दयाल शोध संस्थान, भारतीय शिक्षण मंडल सहित संघ से जुड़े 15 आनुषंगिक संगठन मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं और आगे चलकर इसमें कई अन्य आनुषंगिक संगठन भी जुड़ते चले जायेंगे।

स्वदेशी जागरण मंच के नेता ने बताया कि संघ का यह मानना है कि स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए, देश से गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए उद्यमिता को बढ़ावा देने, रोजगार सृजन केंद्र, स्वरोजगार, छोटे-छोटे लघु-कुटीर उद्योग, उत्पादन के विकेंद्रीकरण जैसे कई अनगिनत क्षेत्रों में काफी काम करने की जरूरत है और यह काम अकेले सरकार नहीं कर सकती है बल्कि समाज को भी इसके लिए आगे आना होगा। देश के लोगों, अधिकारियों, टेक्नोक्रेट्स, जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और उद्योग से जुड़े लोगों के साथ-साथ समाज के हर तबके से जुड़े लोगों को आगे आकर मिलजुलकर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

दत्तात्रेय होसबाले के इस बयान को भाजपा किस नजरिये से देख रही है ? इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि संघ समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदा काम करता है और उन्हें रेखांकित भी करता रहता है। ये समस्याएं देश में है और संघ ने यह कहा है कि केवल सरकारी नौकरी पर निर्भर रहने की बजाय देश के लोगों को स्वरोजगार की तरफ बढ़ना चाहिए और भाजपा सरकार भी इसी दिशा में लगातार प्रयास कर रही है।

भाजपा प्रवक्ता ने महंगाई, रोजगार और गरीब-अमीर के बीच की खाई को लगातार कम करने के मोदी सरकारों के प्रयासों का जिक्र करते हुए दावा किया कि अमेरिका और यूरोपीय देशों की तुलना में भारत में महंगाई की दर बहुत कम है और आरबीआई इसे और कम करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिए गरीबों के खाते में सीधे पैसा पहुंचाकर सरकार जहां एक तरफ गरीबों की लगातार मदद कर रही है वहीं दूसरी तरफ जीएसटी एवं डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन को बढ़ा कर अमीर-गरीब के बीच की खाई को कम करने का भी प्रयास कर रही है।


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