Top
Begin typing your search above and press return to search.

अफगानिस्तान को समझने के लिए अफगान साहित्य पढ़ना जरूरी: हामिद करजई

 अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई का कहना है कि अफगानिस्तान के बारे में पश्चिमी देशों का नजरिया पूर्वाग्रह से प्रेरित हो सकता है अथवा उसमें प्रासंगिक समझ का अभाव हो सकता है

अफगानिस्तान को समझने के लिए अफगान साहित्य पढ़ना जरूरी: हामिद करजई
X

जयपुर। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई का कहना है कि अफगानिस्तान के बारे में पश्चिमी देशों का नजरिया पूर्वाग्रह से प्रेरित हो सकता है अथवा उसमें प्रासंगिक समझ का अभाव हो सकता है। इसलिए अफगानिस्तान को समझने के लिए अफगान साहित्य को पढ़ना जरूरी है।

जयपुर में आयोजित 'जी' जयपुर साहित्य सम्मेलन में शिरकत करने यहां पहुंचे करजई ने बातचीत में कहा, "अफगान साहित्य काफी समृद्ध है और इसमें बहुत कुछ पढ़ने व समझने को है।"

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के बारे में पश्चिमी देशों का नजरिया ज्यादातर नकारात्मक हो सकता है और उसमें सकारात्मक पहलुओं की उपेक्षा हो सकती है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों की जीवन पद्धति और विलक्षण संस्कृति की झलक अफगानी साहित्य में ही मिल सकती है।

करजई ने 17वीं सदी के सूफी कवि अब्दुर रहमान मोहम्मद 'रहमान बाबा' और उनके समकालीन खुशाल खाल खाटक के नामों का उल्लेख किया। मशहूर राष्ट्रीय कवि खाटक को मुगलों के अत्याचार के विरोध के लिए जाना जाता है।

करजई ने कहा कि खलीलुल्लाह असि को 20वीं सदी का सबसे मशहूर अफगान कवि माना जाता है, जो प्राचीन फारसी के अंतिम और आधुनिक फारसी के प्रथम कवि भी कहलाते हैं। काहर असि भी प्राचीन और नई दोनों विधाओं में मशहूर हुए लेकिन बदकिस्मती से 1990 में अफगान युद्ध के दौरान हुई गोलाबारी में वह मारे गए।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में संघर्ष का लंबा दौर रहा है और उसका प्रभाव कई दशकों से देखा जा रहा है लेकिन देश में साहित्य लगातार समृद्ध होता रहा है।

करजई ने कहा, "जब कोई किताब अफगानिस्तान पर प्रकाशित होती है तो उसे पश्तो भाषा में अनूदित कर एक सप्ताह के भीतर लोगों को उपलब्ध करा दिया जाता है।"

करजई ने कहा कि उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर और कालिदास की कृतियां पढ़ी हैं और भारतीय गायक मन्ना डे के गीत सुनते रहे हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it