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नदियों को बचाने के लिए मानवता को संगठित करना होगा : सदगुरु

 सदगुरु जग्गी वासुदेव ने भारत और दुनिया की नदियों को बचाने के लिए मानवता को संगठित करने के लिए अपील की ताकि बाद में बहुत देर न हो जाए

नदियों को बचाने के लिए मानवता को संगठित करना होगा : सदगुरु
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- अरुल लुइस

संयुक्त राष्ट्र। सदगुरु जग्गी वासुदेव ने भारत और दुनिया की नदियों को बचाने के लिए मानवता को संगठित करने के लिए अपील की ताकि बाद में बहुत देर न हो जाए।

पानी, स्वच्छता और महिला सशक्तीकरण पर बुधवार को एक विशेष सम्मेलन में उन्होंने कहा, "भारत में नदियां 60 और विश्व में 35 फीसदी तक खत्म होने की कगार पर हैं।"

उन्होंने कहा कि भारत की जल आपूर्ति को बचाने के प्रयासों में ध्यान नदियों और उस पर निर्भर कृषि पर केंद्रित करना होगा।

इसके साथ ही नदियों को बचाने के लिए पेड़ों और पौधों में वृद्धि करनी होगी। उन्होंने आधुनिक सिंचाई प्रणालियों प्रणाली के विकास के लिए और कुशल प्रबंधन के लिए किसानों और कारपोरेट को एक मंच पर लाने की अपील की।

सदगुरु ने कहा कि ईशा फाउंडेशन के समर्थन से उन्होंने एक राष्ट्रीय आंदोलन 'रैली फॉर रिवर्स' शुरू किया था, जिसमें नदियों के किनारे या फिर एक किलोमीटर की चौड़ाई पर पेड़ लगाने की बात कही गई थी क्योंकि भारी बारिश के दौरान वह पानी के संरक्षण में मदद करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस को रेखांकित करते हुए नीदरलैंड की अध्यक्षता वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बुधवार को महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ प्रतीकात्मक वृक्षारोपण समारोह आयोजित किया।

शहर में बर्फीले तूफान के कारण एक कार्यालय के भीतर हुए सम्मेलन के दौरान गुटेरेस ने कहा, "पेड़ और जंगल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की गंभीरता कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"

सदगुरु के सुर में सुर मिलाते हुए उन्होंने कहा, "वे पानी को निस्पंदन और नियंत्रित करने में मदद करते हैं, बाढ़ को रोकते हैं और जल विभाजन को बचाते हैं।"

सदगुरु ने कहा कि नदियों को बचाने और पानी के संरक्षण में सभी को मानवता से शामिल होना चाहिए और सभी को अपने हितों और कर्तव्यों का ध्यान रखना चाहिए।


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