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हाथियों से बचाव के लिए प्रभावितों को अन्यत्र बसाया जाएगा

सरगुजा जिले के मैनपाट सहित अन्य जनपदों में प्रति वर्ष हाथियों का आवागमन होता है

हाथियों से बचाव के लिए प्रभावितों को अन्यत्र बसाया जाएगा
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प्रशासन ने तैयार की योजना
अंबिकापुर। सरगुजा जिले के मैनपाट सहित अन्य जनपदों में प्रति वर्ष हाथियों का आवागमन होता है। यह क्षेत्र हाथियों के प्राकृतिक रहवास क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। हाथियों द्वारा प्रति वर्ष आवागमन के दौरान लोगों को क्षति पहुंचाई जाती है। इन्हीं बातों को दृष्टिगत रखकर कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल द्वारा प्रभावित लोगों को उनके सुरक्षित जीवन हेतु आवश्यक परिस्थितियों के बारे में विस्तारपूर्वक समझाते हुए उन्हें सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया।

शुरूआत में ग्रामीणों द्वारा अपने पैतृक आवास स्थल को छोड़कर अन्यत्र जाने में आनाकानी की गई, किन्तु प्रति वर्ष होने वाले जन-धन की हानि को ध्यान में रखकर ग्रामीणों द्वारा निकट के ही ऊंचे स्थान पर बनाए जाने वाले पक्के और हाथियों की दृष्टि से सुरक्षित आवासों में जाने की सहमति व्यक्त की गई। कण्डराजा के टीलेनुमा पठार पर जिला प्रशासन द्वारा पक्के आवासों का निर्माण कराया गया है।

स्थानीय लोग इस स्थान को बरपारा के नाम से भी जानते हैं। बरपारा में पटेलपारा और बैगापारा के हाथी प्रभावित 55 परिवारों के लिए सुदृढ़ पक्के आवासों का निर्माण कराया जा रहा है। हाथियों को आवासीय क्षेत्र से दूर रखने के उद्देष्य से बसाहटों में रात्रि के समय हाई मास्ट सोलर लैम्प स्थापित किया जा रहा है। इसके साथ ही नए बसाहटों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु सोलर डूयल पम्प स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि ग्रामीणों को निरंतर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। हाथियों से सुरक्षा को दृष्टिगत रखकर नए बसाहटों के परिवारों को मधुमक्खी पालन हेतु किट एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। गौरतलब है कि हाथी मधुमक्खियों के समीप नहीं आते तथा पर्याप्त दूरी बनाए रखते हैं।

पक्के आवास
हाथियों द्वारा पक्के आवासों को क्षति नहीं पहुंचाने को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर द्वारा मैनपाट जनपद के हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित कण्डराजा ग्राम के बैगापारा एवं पटेलपारा के ग्रमीणों हेतु 6 पक्के मकान तथा वन विभाग द्वारा हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित 52 परिवारों को 1 लाख 67 हजार रूपए के मान से दी गई सहायता राषि एवं श्रमदान से 55 पक्के मकान निर्धारित स्थान पर बनाए गए हैं। विषेषज्ञों ने बताया है कि इन पिलरयुक्त पक्के मकानों को हाथियों द्वारा क्षति नहीं पहुंचाया जा सकता है।

इन भवनों की विषेषता यह है कि यह भवन 18 फीट ऊंचे बनाए गए हैं, जिससे इन भवनों की छत हाथियों के पहुंच से बाहर होगी। सीढ़ीयुक्त इस भवन के प्रथम तल पर 33 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में शेड का निर्माण भी कराया गया है, ताकि वर्षा एवं ठंण्ड के मौसम में भी ग्रामीण सुरक्षित एवं भयमुक्त वातावरण में रह सके।
छत के चारो ओर ब्लिंकिंग लाईट जो कि सायरन के साथ होगी की व्यवस्था की गई है जो हाथियो के आसपास होने की स्थिति में भवन को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा।

हाई मास्ट सोलर लैम्प व डूयल पम्प
हाथियों से सुरक्षा को दृष्टिगत रखकर प्रभावित बसाहटों के समीप हाई मास्ट सोलर लैम्प स्थापित किए जा रहे हैं। इस हेतु कलेक्टर द्वारा जिला खनिज संस्थान न्यास मद से 35 लाख 61 हजार 600 रूपए की स्वीकृति दी गई है। उल्लेखनीय है कि मैनपाट जनपद अंतर्गत नर्मदापुर के कण्डराजा ग्राम, मंजूरतराई, मेहता प्वाइंट, सरभंजा, पेंट तथा पीड़िया के हाथी प्रभावित स्थानों हेतु 5 लाख 93 हजार 600 रूपए के मान से प्रषासकीय स्वीकृति दी गई है। इसी प्रकार मैनपाट जनपद अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत चैनपुर के ग्राम बखरीपारा के 2 स्थानों में 600 वाट क्षमतायुक्त 4.5 मीटर स्ट्रकचर ऊंचाई का डूयल पंप स्थापित करने हेतु आदेषित किया गया है।

मधुमक्खी पालन
ग्रामीणों को हाथियों के आवागमन से दूर रखने के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल द्वारा जनपद पंचायत मैनपाट अंतर्गत कण्डराजा, नर्मदापुर, सरभंजा, केसरा, ललैया तथा डांडकेसरा में हाथी प्रभावित अति संवेदनषील क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन कार्य के लिए 7 लाख 15 हजार 56 रूपए की प्रषासकीय स्वीकृति प्रदान करते हुए क्रियान्वयन एजेंसी का दायित्व वनमण्डलाधिकारी सरगुजा को को सौंपा गया है। इस प्रकार हाथियों के आवागमन से सर्वाधिक प्रभावित परिवारों की सुरक्षा के लिए जिला प्रषासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। कलेक्टर श्रीमती कौशल द्वारा हाथी प्रभावितों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखकर विशेष आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों का निर्माण कराया गया है ।

हाथी प्रभावित स्थानों में बनने वाले आंगनबाड़ी केन्द्र भवन की कुर्सी का क्षेत्रफल 101.89 वर्ग मीटर, प्रथम मंजिल पर शेड 33 वर्ग मीटर, नींव की उंचाई 0.60 मीटर, फर्श से छत की उंचाई 4.50 मीटर, छत पर पैरापेट की उंचाई 0.90 मीटर, पैरापेट सहित कुल उंचाई 6 मीटर है। यह भवन आंगनबाड़ी केन्द्र संचालन के साथ ही हाथियों से सुरक्षा प्रदान करने में उपयुक्त है। सामान्य आंगनबाड़ी भवन 6 लाख 45 हजार रूपए की लागत से 47.33 वर्ग मीटर में बनया जाता है, जबकि इस भवन में जिला खनिज न्यास मद से 4 लाख 26 हजार रूपए की सहायता राशि लेकर हॉल, सीढ़ी तथा प्रथम तल पर शेड निर्माण करते हुए इसके क्षेत्रफल को 101.89 वर्ग मीटर के साथ एक नवीन स्वरूप प्रदान किया गया है।

इस आंगनबाड़ी सह हाथी संकट प्रबंधन केन्द्र में दिन के समय बच्चे आंगनबाड़ी की सुविधाओं का लाभ उठाएंगे वहीं हाथी के विचरण काल के दौरान ग्रामीण इन भवन का उपयोग कर सुरक्षित रहेंगे। भवन की अंदरूनी दीवारों पर 5 से 6 फीट की उंचाई तक आंगनबाड़ी के बच्चों को अक्षर एवं अंक ज्ञात तथा चित्र ज्ञान से संबंधित पेंटिंग बनाई जाएगी तथा उपरी हिस्सें में हाथी से बचने के उपायों का चित्रांकन किया जाएगा। एक ऑडियो ट्यूटोरियल की सहायता से ग्रामीणों को हाथियों के साथ स्वयं को सुरक्षित रखते हुए सह अस्तित्व का बोध कराया जाएगा। संकट काल के दौरान ग्रामीणों की मदद हेतु हाथी वॉलेन्टियर्स का गठन किया गया। दल में अत्यंत तीव्र एवं चुस्त तथा दूसरों की मदद करने वाले ग्रामीण युवकों का चयन किया गया है।

साथ ही एक हाथी प्रबंधन किट भी आंगनबाड़ी में प्रदाय की जा रही है। जिसमें संकट के समय प्रयोग में लाए जाने हेतु टार्च, ब्लिंकिंग लाईट, साउण्ड सिस्टम छत के लिए बेड रोल तथा कुछ वाद्य यंत्र भी उपलब्ध कराए गए हैं जिससे रात के समय ग्रामीण इन वाद्य यंत्रों को बजाकर अपना मनोरंजन करेंगे वहीं दूसरी ओर यंत्रों की आवास से हाथी भी इन भवनों की ओर ना आ पाए।


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