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लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हे पढ़ाना जरूरी

मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज शिक्षिकाओं और छात्राओं से कहा कि वे शिक्षिका रही हूँ इसलिये शिक्षा का, शिक्षकों का और पुस्तकों का महत्व समझती हैं

लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हे पढ़ाना जरूरी
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भोपाल। मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज शिक्षिकाओं और छात्राओं से कहा कि वे शिक्षिका रही हूँ इसलिये शिक्षा का, शिक्षकों का और पुस्तकों का महत्व समझती हैं, इसलिये बार-बार उनका सभी से आग्रह रहता है कि लड़कियों का पढ़ाना जरूरी है।

श्रीमती पटेल ने यहां एक स्कूल में पुस्तक वितरण कार्यक्रम में कहा कि अगर लड़कियाँ पढ़ेंगी तो आत्मनिर्भर बनेंगी, अच्छी माताएँ बनेंगी और देश के विकास में अपना योगदान भी देंगी। उन्होंने छात्राओं से कहा कि 9 साल की उम्र तक बच्चों का 80 प्रतिशत मानसिक विकास होता है। शेष 20 प्रतिशत विकास आगे की उम्र में। प्रायमरी टीचर हमेशा बच्चों की स्मृतियों में रहता है। वही उसका आदर्श भी होता है।

उन्होंने कहा कि प्रायमरी टीचर को इस बारे में सजग रहकर अपना शिक्षण कार्य करना चाहिये। उन्होंने कहा कि बच्चों की शारिरिक- मानसिक और आर्थिक स्थिति के साथ-साथ उसके परिवेश के बारे में शिक्षक को जानकारी होना जरूरी है। तभी उस बच्चे की कठिनाईयों को समझकर उसके सर्वांगीण विकास की ओर ध्यान दे सकेंगे। उसकी समस्या का हल कर पायेंगे। श्रीमती पटेल ने शिक्षिकाओं से कहा कि पढ़ाने के लिये पढ़ना जरूरी है। वे अपने विषय में विशेषज्ञता के साथ-साथ अन्य रूचिकर और जनरल नॉलेज की पुस्तकें भी पढ़ें, जिससे वे बच्चों को बेहतर ढंग से पढ़ा सकें।

उन्होंने स्कूल की प्राचार्य से कहा कि छात्राओं का हीमोग्लोबीन टेस्ट अवश्य करवायें और एनीमिक बच्चियों की पहचान कर उनका समुचित इलाज करवायें। राज्यपाल ने कक्षा एक से चौथी तक की छात्राओं को पेंटिंग की किताबें और कलर प्रदान किये। उन्होंने कक्षा 9-10 की छात्राओं को मनोरंजन की किताबें देते हुए कहा कि जो छात्रा साल भर में सबसे ज्यादा किताबें पढ़ेगी, उसे अगले साल मैं पुरूस्कार दूंगी।

इस अवसर पर उन्होंने स्कूल के संगीत कक्ष, पेंटिंग कक्ष एवं साइंस की प्रयोगशालाओं का अवलोकन किया। उन्होंने स्कूल की दो छात्राओं को उनके आज जन्मदिन पर आर्शीवाद स्वरूप उपहार दिये। इस अवसर पर उन्होंने भोपाल में 9 अक्टूबर को आयोजित पढ़ें भोपाल कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि सभी शिक्षिकाओं और छात्राओं को सप्ताह में दो दिन रूचिकर पुस्तकें अवश्य पढ़ना है, जिससे मस्तिष्क का सही विकास हो।


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