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इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए आईटी मंत्रालय ने दिया 44,000 करोड़ रुपये की सहायता का सुझाव

भारत सरकार का जोर सेमीकंडक्टर के साथ घरेलू इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने पर है, जिससे देश को दुनिया के सप्लाई चेन हब के रूप में विकसित किया जा सके। इसके लिए आईटी मंत्रालय ने एक टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसने सरकार को सुझाव दिया है कि घरेलू कंपनियों को 2030 तक 44,000 करोड़ रुपये की सहायता दी जाए

इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए आईटी मंत्रालय ने दिया 44,000 करोड़ रुपये की सहायता का सुझाव
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नई दिल्ली। भारत सरकार का जोर सेमीकंडक्टर के साथ घरेलू इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने पर है, जिससे देश को दुनिया के सप्लाई चेन हब के रूप में विकसित किया जा सके। इसके लिए आईटी मंत्रालय ने एक टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसने सरकार को सुझाव दिया है कि घरेलू कंपनियों को 2030 तक 44,000 करोड़ रुपये की सहायता दी जाए।

मंत्रालय की ओर से इस टास्क फोर्स का गठन इस वर्ष जनवरी में किया गया था। इसका नेतृत्व अजय कुमार सूद कर रहे हैं, जो कि सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार हैं। इसके अलावा अन्य सदस्य जैसे एचसीएल के संस्थापक और ईपीआईसी फाउंडेशन के चेयरमैन अजय चौधरी और डिक्सन टेक्नोलॉजीज के एमडी सुनील वचानी इस टीम के सदस्य हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, टास्क फोर्स ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम को 2030 तक बढ़ाने की सिफारिश की है। इससे एप्पल जैसी कंपनियों को भारत में आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद मिलेगी और निर्यात बढ़ेगा।

चौधरी ने कहा कि इसका मकसद भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स आयात बिल को कम करना है।

उन्होंने आगे कहा कि अगले पांच वर्ष भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए काफी अहम होंगे। इससे अगले कई दशकों की दिशा तय होगी। हमें एक उत्पादक देश बनना है और ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट्स में चीन को कड़ी टक्कर देनी है। इसके लिए देश को अपने सबसे अच्छे लोगों को आगे लाना होगा।

टास्क फोर्स के सदस्यों के मुताबिक, सरकार ने पिछले 10 वर्षों में सुनिश्चित किया है कि भारतीय कंपनियां खुद को पुनर्जीवित करें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर' अभियान के तहत लिए गए एक्शन को जमीनी स्तर पर काफी सराहना मिली है।

उन्होंने आगे कहा कि अब हमारा फोकस वैल्यू-एडेड मैन्युफैक्चरिंग और भारत में उत्पादों के डिजाइन पर होना चाहिए। इसके जरिए भारत ग्लोबल ब्रांड के लिए अपनी दावेदारी को और मजबूत कर सकता है।

घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रीज की ओर से सरकार से आने वाले बजट में इनपुट पर टैरिफ कम करने की मांग की गई है, जिससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने के साथ-साथ चीन और वियतनाम से मुकाबला कर पाए।

वित्त वर्ष 24 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट बढ़कर 115 अरब डॉलर हो गया और इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामानों का निर्यात 29.1 अरब डॉलर रहा। कुल इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में मोबाइल फोन की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत थी।

भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को 300 अरब डॉलर तक बढ़ाना है।


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