स्कूलों द्वारा वसूली फीसवापस दिलाने के लिए दिल्ली सरकार निजी स्कूलों के बैंक खाते करे अटैच
दिल्ली विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज दिल्ली सरकार द्वारा 449 निजी स्कूलों को फीस वापसी के मामले में नोटिस जारी करने व मान्यता रद्द करने के लिए दी जा रही

नई दिल्ली। दिल्ली विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज दिल्ली सरकार द्वारा 449 निजी स्कूलों को फीस वापसी के मामले में नोटिस जारी करने व मान्यता रद्द करने के लिए दी जा रही धमकियों को केवल घड़िय़ाली आंसू बताते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को निजी स्कूलों के खातों को अटैच कर देना चाहिए ताकि जनता से वसूले गए सैकड़ों करोड़ रूपए अभिभावकों को वापिस दिलवाए जा सकें।
अभिभावक महासंघ के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार को याद दिलाया कि उन्होंने ही दिल्ली अभिभावक महासंघ के अध्यक्ष के रूप में निजी स्कूलों द्वारा छठे वेतन आयोग को लागू करने के नाम पर अनाप शनाप बढ़ाई गयी फीस के विरुद्ध आंदोलन चलाया था। दिल्ली उच्च न्यायालय में निजी स्कूलों द्वारा छठा वेतन आयोग लागू करने के नाम पर बेतहाशा वृद्घि के खिलाफ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका पर निजी स्कूलों के खिलाफ फैसला दिया और न्यायाधीश अनिल देव समिति का निजी स्कूलों के खातों की जांच के लिए गठन हुआ था।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीश अनिल देव समिति द्वारा सरकार को सौंपी गयी रिपोर्टो के बावजूद सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह से विफल रही है क्योंकि सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है।
श्री गुप्ता ने कहा यदि दिल्ली सरकार इस मामले में गंभीर होती तो अभिभावकों द्वारा जमा कराई गयी ज्यादा फीस इन स्कूलों के बैंक खाते अटैच कर वापस दिलवाई जा सकती थी परन्तु सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार द्वारा अधिग्रहण व मान्यता रद्द करने के लिए निजी स्कूलों को नोटिस जारी करना केवल इस मामले को और लटकाने का प्रयास है। यह सीधे-सीधे दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना का मामला है।
केजरीवाल सरकार को इन निजी स्कूलों में 500 करोड़ रूपये से अधिक जमा कराई गयी ज्यादा फीस 9 प्रतिशत ब्याज सहित अभिभावकों को वापस दिलाने के लिए इन स्कूलों के बैंक खातों को अटैच करे जिससे कि दिल्ली के गरीब अभिभावकों का पैसा जल्दी से जल्दी उन्हें वापस दिलवाया जा सके व स्कूलों में बच्चो की पढ़ाई में भी किसी तरह से आंच न आये।


