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हिंसा के बीच हुए पंचायत चुनाव में टीएमसी बड़ी जीत की ओर

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के नतीजे मंगलवार को आ गए लेकिन इस बार का चुनाव हिंसा से भरा रहा. ग्राम पंचायत में टीएमसी बढ़त बनाए हुए है वहीं बीजेपी दूसरे नंबर पर आती नजर आ रही है

हिंसा के बीच हुए पंचायत चुनाव में टीएमसी बड़ी जीत की ओर
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पश्चिम बंगाल में 2003 से लेकर 2023 तक पांच पंचायत चुनाव हुए जिनमें 270 लोग मारे गए. इस साल के पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में अब तक 40 लोग मारे जा चुके हैं. ग्राम पंचायत चुनाव में हिंसा नामांकन दाखिल करने से लेकर प्रचार, मतदान और यहां तक कि वोटों की गिनती के दिन तक हुई.

पंचायत चुनाव के लिए बंगाल में 8 जुलाई को मतदान हुआ था. लेकिन पंचायत चुनाव में हुई हिंसा के चलते पश्चिम बंगाल निर्वाचन आयोग ने 10 जुलाई को 697 बूथों पर फिर से मतदान कराने का फैसला किया था.

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केंद्रीय बलों के जवानों की तैनाती नहीं होने पर उठे सवाल

इस चुनाव के बाद सेंट्रल फोर्स के कोऑर्डिनेटर बीएसएफ के आईजी ने पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग को खत लिखकर बताया कि सीआरपीएफ जैसे केंद्रीय बलों को राज्य में चुनावी ड्यूटी के लिए तैनात नहीं किया गया.

उन्होंने अपने खत में यह भी बताया था कि केंद्रीय बलों को संवेदनशील बूथों की सूची नहीं सौंपी गई और उनको लाने, ले जाने के लिए परिवहन के कोई इंतजाम नहीं किए गए थे.

राज्य में कम से कम 65 हजार केंद्रीय बलों के जवानों को चुनावों की देखरेख के लिए ड्यूटी के लिए भेजा गया था, लेकिन चुनाव के दिन उनका इस्तेमाल नहीं हुआ. हालांकि, वोटों की गिनती वाले दिन उनको ड्यूटी पर लगाया गया था.

कोलकाता हाईकोर्ट का आदेश था कि हर बूथ पर सेंट्रल फोर्स को तैनात करना होगा, लेकिन आरोप लगाए गए कि ज्यादातर बूथों पर इन बलों को तैनात नहीं किया गया.

इस बार पंचायत चुनाव में हर पार्टी के सदस्य मारे गए, यही नहीं टीएमसी के कार्यकर्ता और उसके समर्थक भी मारे गए. क्योंकि इस बार टीएमसी में टिकट को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच पहले से ही तनाव था.

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को अप्रत्याशित बताते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया है कि चुनाव और हिंसा बंगाल में पर्यायवाची शब्द बन गए है. पात्रा ने कहा, "बंगाल में आज वोटों की गिनती हो रही है लेकिन जब से राज्य में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई है तब से लेकर अभी तक राज्य में 45 लोगों की हत्या हो चुकी है."

दूसरी ओर टीएमसी ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि पंचायत चुनावों के दौरान शांति सुनिश्चित करने के लिए तैनात किए गए केंद्रीय बल बंगाल बीजेपी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. टीएमसी ने कुछ वीडियो ट्वीट करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी के उम्मीदवार केंद्रीय बलों की मदद से स्ट्रॉन्ग रूम में दाखिल होने की कोशिश कर रहे हैं.

मंगलवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस हिंसा में मारे गए लोगों के घर गए, उन्होंने मतगणना के दिन पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. मंगलवार सुबह दिल्ली से लौटने के बाद राज्यपाल सीधे दक्षिण 24 परगना जिले के हिंसाग्रस्त भांगर पहुंचे और जगह-जगह घूमकर लोगों से बातचीत की.

मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बोस ने कहा, "राज्य में बढ़ती हिंसा के खिलाफ हमारी अथक लड़ाई जारी रहेगी. हिंसा फैलाने के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी." उन्होंने कहा कि इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका असर आने वाली पीढ़ी पर पड़ेगा.

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2024 पर क्या असर डालेगी हिंसा

अगले लोकसभा चुनाव में हिंसा को देखते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग की भूमिका और बढ़ जाएगी और ऐसे में जानकार बताते हैं कि वहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती पहले के चुनाव के मुकाबले और बढ़ जाएगी.

जानकार कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की शुरूआत पंचायत चुनाव में भारी हिंसा के साथ शुरू हो गई है और इसी तरह की हिंसा की आशंका आने वाले लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकती है.


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