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आयुर्वेद के ज्ञान को अधिकाधिक गहरायी से समझने का समय : कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि आज का यह समय आयुर्वेद के ज्ञान को अधिकाधिक गहराई से समझने, वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर खरा उतरने तथा वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकी मापदण्डों को परिमार्जित कर विश्व को देने का है

आयुर्वेद के ज्ञान को अधिकाधिक गहरायी से समझने का समय : कोविंद
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उज्जैन। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि आज का यह समय आयुर्वेद के ज्ञान को अधिकाधिक गहराई से समझने, वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर खरा उतरने तथा वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकी मापदण्डों को परिमार्जित कर विश्व को देने का है।

श्री कोविंद आज अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने यहीं से शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय उज्जैन के नवनिर्मित भवन का वर्चुअल लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि सर्वहितकारी आयुर्वेद का परम्परागत ज्ञान हमारे पास है। यह हमारा सौभाग्य है, परन्तु आज का समय शोध एवं अनुसंधान का, प्रमाणन का और गुणवत्ता का है।

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि उज्जयिनी में आयोजित अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59 वें अधिवेशन में आप सबके बीच आकर उन्हें बहुत प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि अवंतिका, प्रतिकल्पा और अमरावती जैसे पौराणिक नामों को धारण करने वाली यह नगरी योग, वेदांत, पर्व, उत्सव, धर्म, दर्शन, कला, साहित्य और आयुर्वेद ज्योतिष की नगरी है। यह नगरी कृष्ण और सुदामा को शिक्षा देने वाले महर्षि सान्दीपनि के गुरू की नगरी है। यह भूमि भूतभावन भगवान महाकाल, मंगलकारी भगवान मंगलनाथ, योगी मत्स्येंद्रनाथ, सम्राट विक्रमादित्य, महाकवि कालिदास, महाकवि भास और भवभूति आदि जैसी अनेक महान विभूतियों की भूमि है। राष्ट्रपति ने कहा कि वे उज्जैन की इस पुण्य भूमि को नमन करते हैं।

श्री कोविंद ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि आज से लगभग 115 वर्ष पहले 1907 में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन की स्थापना पवित्र गोदावरी नदी के किनारे स्थित कुंभ नगरी नासिक में की गई थी। आज पवित्र शिप्रा नदी के किनारे स्थित एक अन्य कुंभ नगरी उज्जैन में इसका 59 वां अधिवेशन आयोजित किया गया है। इस सुखद संयोग के परिणाम देश और दुनिया के लिये कल्याणकारी होंगे। इसी विश्वास के साथ महासम्मेलन को सम्बोधित करना उनके लिये गौरव का विषय है।

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि भारत सरकार ने समय समय पर भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण और संवर्धन के लिये अनेक उपाय किये हैं, परन्तु वर्ष 2014 में पृथक आयुष मंत्रालय की स्थापना के बाद से तेजी आई है। भारत सरकार से सम्बन्धित विभिन्न अनुसंधान परिषदों, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान आदि संस्थाओं द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। इसके लिये वे आयुष मंत्रालय और केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को बधाई देते हैं।

श्री कोविंद ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योग और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में सदैव विशेष रूचि प्रदर्शित की है। इस सम्मेलन के आयोजन में और राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय के आधुनिक भवन के निर्माण में भी प्रदेश सरकार का भरपूर योगदान रहा है। प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने की दृष्टि से किये जा रहे सभी प्रयासों को देखकर यह विश्वास मजबूत होता है कि राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में चिकित्सा सुविधाओं को मध्यप्रदेश में लगातार संबल मिलता रहेगा और यह प्रदेश आयुर्वेद चिकित्सा का भी पसंदीदा गन्तव्य बनेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अभी हाल ही में गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेन्टर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना से यह पुष्टि होती है कि विश्व अब हमारी पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों को स्वीकार करने के लिये तैयार है।

आयुर्वेद के ज्ञान को अधिकाधिक गहरायी से समझने का समय: कोविंद

आयुर्वेद के ज्ञान को अधिकाधिक गहरायी से समझने का समय: कोविंद

उज्जैन, 29 मई (वार्ता) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि आज का यह समय आयुर्वेद के ज्ञान को अधिकाधिक गहराई से समझने, वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर खरा उतरने तथा वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकी मापदण्डों को परिमार्जित कर विश्व को देने का है।

श्री कोविंद आज अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने यहीं से शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय उज्जैन के नवनिर्मित भवन का वर्चुअल लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि सर्वहितकारी आयुर्वेद का परम्परागत ज्ञान हमारे पास है। यह हमारा सौभाग्य है, परन्तु आज का समय शोध एवं अनुसंधान का, प्रमाणन का और गुणवत्ता का है।

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि उज्जयिनी में आयोजित अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59 वें अधिवेशन में आप सबके बीच आकर उन्हें बहुत प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि अवंतिका, प्रतिकल्पा और अमरावती जैसे पौराणिक नामों को धारण करने वाली यह नगरी योग, वेदांत, पर्व, उत्सव, धर्म, दर्शन, कला, साहित्य और आयुर्वेद ज्योतिष की नगरी है। यह नगरी कृष्ण और सुदामा को शिक्षा देने वाले महर्षि सान्दीपनि के गुरू की नगरी है। यह भूमि भूतभावन भगवान महाकाल, मंगलकारी भगवान मंगलनाथ, योगी मत्स्येंद्रनाथ, सम्राट विक्रमादित्य, महाकवि कालिदास, महाकवि भास और भवभूति आदि जैसी अनेक महान विभूतियों की भूमि है। राष्ट्रपति ने कहा कि वे उज्जैन की इस पुण्य भूमि को नमन करते हैं।

श्री कोविंद ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि आज से लगभग 115 वर्ष पहले 1907 में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन की स्थापना पवित्र गोदावरी नदी के किनारे स्थित कुंभ नगरी नासिक में की गई थी। आज पवित्र शिप्रा नदी के किनारे स्थित एक अन्य कुंभ नगरी उज्जैन में इसका 59 वां अधिवेशन आयोजित किया गया है। इस सुखद संयोग के परिणाम देश और दुनिया के लिये कल्याणकारी होंगे। इसी विश्वास के साथ महासम्मेलन को सम्बोधित करना उनके लिये गौरव का विषय है।

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि भारत सरकार ने समय समय पर भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण और संवर्धन के लिये अनेक उपाय किये हैं, परन्तु वर्ष 2014 में पृथक आयुष मंत्रालय की स्थापना के बाद से तेजी आई है। भारत सरकार से सम्बन्धित विभिन्न अनुसंधान परिषदों, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान आदि संस्थाओं द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। इसके लिये वे आयुष मंत्रालय और केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को बधाई देते हैं।

श्री कोविंद ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योग और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में सदैव विशेष रूचि प्रदर्शित की है। इस सम्मेलन के आयोजन में और राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय के आधुनिक भवन के निर्माण में भी प्रदेश सरकार का भरपूर योगदान रहा है। प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने की दृष्टि से किये जा रहे सभी प्रयासों को देखकर यह विश्वास मजबूत होता है कि राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में चिकित्सा सुविधाओं को मध्यप्रदेश में लगातार संबल मिलता रहेगा और यह प्रदेश आयुर्वेद चिकित्सा का भी पसंदीदा गन्तव्य बनेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अभी हाल ही में गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेन्टर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना से यह पुष्टि होती है कि विश्व अब हमारी पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों को स्वीकार करने के लिये तैयार है।


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