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देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का समय आ गया है : सर्वे

देश के अधिकांश लोगों का मानना है कि पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का समय आ गया है

देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का समय आ गया है : सर्वे
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नई दिल्ली। देश के अधिकांश लोगों का मानना है कि पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का समय आ गया है।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की तैयारी कर रही है।

सर्वेक्षण में यह पूछे जाने पर कि क्या आपको लगता है कि पूरे देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का समय आ गया है, इस पर सर्वे में शामिल 52.14 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पूरे देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का समय आ गया है।

दूसरी ओर, 38.03 प्रतिशत ने कहा कि पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की कोई आवश्यकता नहीं है और ऐसे कानूनों को केवल अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में ही पेश किया जाना चाहिए।

यह सर्वे 12,25 लोगों के बीच किया गया। भारत में सीवोटर न्यूजट्रैकर सर्वेक्षण एक राष्ट्रीय प्रतिनिधि संभाव्यता नमूने पर आधारित हैं, जैसा कि विश्व स्तर पर मानकीकृत आरडीडी सीएटीआई पद्धति में उपयोग किया जाता है, जो सभी राज्यों में सभी भौगोलिक और जनसांख्यिकीय क्षेत्रों को कवर करता है। यह दैनिक लाइव ट्रैकर सर्वेक्षण सभी सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में वयस्क (18 प्लस) उत्तरदाताओं के साक्षात्कार पर आधारित है। डेटा को ज्ञात जनगणना प्रोफाइल पर भारित किया जाता है। त्रुटि का मानक मार्जिन : राष्ट्रीय प्रवृत्तियों पर प्लस/माइनस तीन प्रतिशत और क्षेत्रीय/जोनल प्रवृत्तियों पर प्लस/माइनस पांच प्रतिशत आत्मविश्वास के स्तर के साथ 95 प्रतिशत है। प्रत्येक रिपोर्ट में नमूना आकार और फील्ड कार्य तिथियों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतें लोगों को परेशान कर रही हैं और उन्होंने ईंधन की कीमत को 60-65 रुपये प्रति लीटर तक लाने का एक फॉर्मूला दिया है। गडकरी ने कहा है कि इथेनॉल के अधिक उपयोग से पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि से राहत मिलेगी।

इसके बाद, 49.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि गडकरी को पेट्रोलियम मंत्रालय का प्रभार भी दिया जाना चाहिए, जबकि 34.5 प्रतिशत ने कहा कि नए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह मंत्रालय के मामलों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से संभालेंगे।

अलग-अलग राज्यों में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले जहां आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया है, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में मुफ्त बिजली देने का वादा किया है।

इस पर सर्वेक्षण में 50.29 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि मुफ्त बिजली का वादा चुनाव के लिए जीत का फॉर्मूला बन रहा है, जबकि 35.28 प्रतिशत ने कहा कि नहीं, एक पार्टी सिर्फ मुफ्त बिजली के वादे से चुनाव नहीं जीत सकती।

इसके अलावा सर्वे में शामिल कम से कम 50.92 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मुफ्त बिजली प्रदान करने से राज्यों का राजस्व प्रभावित होता है, जो जनता को प्रदान की जाने वाली अन्य आवश्यक सेवाओं को प्रभावित करता है।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता गुरनाम सिंह चढूनी के आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को संयुक्त किसान मोर्चा ने खारिज कर दिया है, मगर इस संबंध में सवाल पूछे जाने पर कुल 54.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि किसानों को एक राजनीतिक मंच शुरू करना चाहिए और पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए, ताकि किसान समुदाय के अधिकारों को लेकर लड़ाई को आगे बढ़ाया जा सके।

जबकि 35.4 फीसदी लोगों ने कहा कि पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने से किसानों के मुद्दों का समाधान नहीं होगा।

हरियाणा सरकार ने कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्रों के लिए 16 जुलाई से स्कूल खोलने का फैसला किया है, जबकि कोरोना की तीसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं है। इस मुद्दे पर जब यह सवाल किया गया कि क्या आपको लगता है कि ऐसी स्थिति में स्कूल अभी खोले जाने चाहिए, इस पर 47.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नहीं, अभी स्कूल अभी नहीं खोले जाने चाहिए। जबकि 44.02 प्रतिशत लोगों ने कहा कि स्कूल फिर से खोले जाने चाहिए।

कांग्रेस की पंजाब और हरियाणा इकाई के बाद अब पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई में भी अंदरूनी कलह देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर सवाल करने पर 48.33 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व पार्टी की राज्य इकाइयों में अंदरूनी कलह को सुलझाने में लगातार विफल हो रहा है।


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