तिल्दा : आवाजाही में लोगों को परेशानी
रेल्वे फाटक के आधे आधे घंटे तक बंद रहने से जहाँ आम लोग खासे दिक्कत में है वहीँ रेल्वे स्टेशन के मुख्य गेट के सामने रैक की मालगाड़ी खड़ी कर देने से आम यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़

तिल्दा। रेल्वे फाटक के आधे आधे घंटे तक बंद रहने से जहाँ आम लोग खासे दिक्कत में है वहीँ रेल्वे स्टेशन के मुख्य गेट के सामने रैक की मालगाड़ी खड़ी कर देने से आम यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
तिल्दा रेल्वे केबिन (फाटक) के लंबे लंबे समय तक बंद रहने से आम राहगीरों सहित वाहन वाले भी खासे परेशान है। तिल्दा से धरसीवां का यह प्रमुख मार्ग है जो सैकड़ो गावो को भी जोड़ती है साथ ही इंडस्ट्ल एरिया होने के कारण हजारों छोटी बड़ी गाड़ियों की आवाजाही इस मार्ग से होते रहती है।
एक बार यह केबिन बंद हो जाए तो बिना 4 से 5 गाड़ी निकले नही खुलती। सवारी व मालगाड़ियों को जब तक नही निकाल लिया जाता तब तक केबिन नही खोला जाता।
अप लाइन की गाड़ियां हथबन्द में व डाउन लाइन की गाड़ियां बैकुंठ सिलयारी के बीच हो तब से फाटक बंद कर दिया जाता है उसके बाद तो फिर आधे आधे घंटे तक फाटक को बंद रखा जाता है। नियम तो 10 मिनट से अधिक फाटक बन्द करने का नही है फिर भी स्थानीय स्टेशन प्रबंधन द्वारा नियमों को ताक पर रखकर फाटक बंद रखे जाते है।
इसी तरह स्टेशन के सामने मुख्य गेट पर घंटो तक मालगाड़ी खड़ी कर दी जाती है जिसके चलते आम यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना यहाँ करना पड़ता है।
कई यात्री मालगाड़ी के ऊपर से चढ़कर इस पार से स्टेशन जाने मजबूर हो जाते है। विकलांग एवं बुजुर्ग यात्रियों को तो मुसीबतों परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। इनकी की तो ट्रेनें तक छूट जाती है। यात्रियों की बार बार शिकायतों के बाद भी कोई ध्यान नही दिया जाता।
इन सबमेें स्टेशन प्रबंधन का रटा रटाया जवाब रहता है कि फाटक बंद का कारण गाड़ियों की आवाजाही बढ़ने की वजह से एवं कंट्रोल से रहता है। स्टेशन के सामने मालगाड़ी खड़ी कर देने के सवाल पर जवाबदेहियों द्वारा चुप्पी साध ली जाती है और इन सबका खामयाजा यहाँ आमयत्रियो एवं नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।


