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गिरिराज और कल्याण के बीच तीखी जंग, सदन की कार्यवाही स्थगित

 लोकसभा में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बीच तीखी ज़ुबानी जंग

गिरिराज और कल्याण के बीच तीखी जंग, सदन की कार्यवाही स्थगित
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नयी दिल्ली। लोकसभा में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने संबंधी विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बीच तीखी ज़ुबानी जंग के बाद हुए हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।

केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत द्वारा संविधान (123वां संशोधन) विधेयक को राज्यसभा द्वारा किये गये संशोधनों पर विचार के लिए पेश किए जाने के बाद शुरू हुई चर्चा में कांग्रेस के राजीव सातव और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गणेश सिंह के बाद तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी बोलने के लिए उठे।

बनर्जी ने इस विधेयक का श्रेय लेने के लिये भाजपा और सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद सरकार को यह विधेयक लाना पड़ा है। इसी प्रकार से मुस्लिम पिछड़ी जातियों को विधेयक के दायरे में लाने के लिये भी सच्चर समिति की सिफारिशों काे श्रेय दिया और कहा कि 2011 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन जातियों की पहचान का काम शुरू कर दिया था।

उन्होंने आयोग की रिपोर्टों को राज्यपाल की बजाए संबंधित राज्य सरकार को देने के प्रावधान को उचित बताया अौर कहा कि वह पिछली बार यही संशोधन लाना चाहते थे। यह अच्छी बात है कि सरकार स्वयं ही इसे ले आयी।

बनर्जी ने कुछ और बातें कहीं तभी सत्तापक्ष की ओर से केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्याेग मंत्री गिरिराज सिंह उठ कर खड़े हो गये और जोर -जोर से कहने लगे कि श्री बनर्जी गलत बयानी कर रहे हैं। इस पर श्री बनर्जी ने आरोप लगाया कि मंत्री उन्हें धमका रहे हैं और बोलने में व्यवधान डाल रहे हैं जो विपक्ष के अधिकारों का हनन है। इस पर सत्तापक्ष के लोग उत्तेजित हो गये।

बनर्जी के बचाव में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे एवं अन्य विपक्षी सदस्य भी खड़े हो गए और अध्यक्ष से विपक्ष के अधिकारों की रक्षा करने का अनुरोध किया।

अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शोर शराबे के बीच दोनों पक्षों को शांत करने का आग्रह किया लेकिन किसी पर कोई असर नहीं होता देख उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिये स्थगित कर दी।


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