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योगी सरकार के तीन साल, गोरखपुर चला विकास की राह

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के तीन साल पूरे हो रहे हैं। ऐसे में गोरखपुर की विकास की राह गतिमान

योगी सरकार के तीन साल, गोरखपुर चला विकास की राह
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गोरखपुर। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के तीन साल पूरे हो रहे हैं। ऐसे में गोरखपुर की विकास की राह गतिमान है। न सिर्फ धार्मिक अध्यात्मिक, औद्योगिक चीजों को बढ़ावा दिया जा रहा, बल्कि पर्यटन के माध्यम से रोजगार बढ़ाने की दिशा में यह शहर अग्रसर हो रहा है। नेपाल की तराई और बिहार के उत्तरी इलाके के करोड़ों लोगों की शिक्षा, चिकित्सा और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र होने के नाते इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। बावजूद राजनीतिक विद्वेष के कारण गोरखपुर लगातार उपेक्षित होता रहा है, पर योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद तीन साल में हालात बदल गये। अब गोरखपुर विकास की राह पर चल पड़ा है। गोरखपुर के बेहतरी के मुद्दों के लिए योगी द्वारा वहां सांसद के रूप में उनके संघर्ष से हर कोई वाकिफ है।

गोरखपुर में लंबे समय तक काम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय ने बताया, "मुख्यमंत्री के प्रयासों का नतीजा है कि आज रामगढ़ ताल गोरखपुर ही नहीं पूर्वाचल के लोगों के लिए सबसे खूबसूरत पिकनिक स्पट है। एडवेंचर स्पोर्टस के लिए भी काम जारी है। झील से ही कुछ दूरी पर जू की परियोजना भी शीघ्र ही साकार रूप लेगी। लखनऊ, कानपुर के बाद गोरखपुर में प्रदेश का यह तीसरा जू होगा।

उन्होंने बताया कि इन्हीं वजहों से करीब 40 वर्षो से जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) मासूम बच्चों की काल बनी हुई थी। इस दौरान इनसे हजारों बच्चों की मौत हुई। मासूमों की मौंते रुके, इसके लिए पूरा पूवार्ंचल योगीजी के संघर्षो का गवाह है।

वह चाहते थे कि गंभीर रोगों के साथ जेइ और एइएस पर शोध और सस्ते में विश्वस्तरीय इलाज के लिए एम्स जैसा एक चिकित्सा संस्थान भी बने। आज यह सपना साकार हो चुका है। ओपीडी चालू हो चुकी है। एमबीबीएस के पहले बैच का दाखिला भी हो चुका है।

गोरखपुर का खाद कारखाना इसी वर्ष यह चालू हो जाएगा। इससे सटे महेसरा ताल के सुंदरीकरण भी योगी की कार्ययोजना में है। इन प्रमुख मुद्दों के अलावा भी गोरखपुर के कायाकल्प के लिए बहुत से काम हो रहे हैं।

पांडेय ने बताया कि पिपराइच में नयी चीनी मिल रिकॉर्ड समय में चालू हो चुकी है। इसमें सल्फर मुक्त चीनी बनेगी। गन्ने के रस से सीधे इथनल बनाने वाली यह उत्तर भारत की पहली मिल होगी। हर चुनावों में मुद्दा बनने वाली धुरियापार की बंद चीनी मिल के कुछ हिस्से पर इंडियन अयल बायोइथनल बनाने का बड़ा प्लांट लगाने जा रही है।

उन्होंने बताया कि हवाई अड्डे के नये टर्मिनल भवन के निर्माण के बाद यह देश के प्रमुख शहरों से हवाई यातायात के जरिये जुड़ चुका है। गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग को चार लेन में करने का निर्माण तेजी से जारी है। पूर्वाचल एक्सप्रेस वे के लिंक रोड से भी गोरखपुर जुड़ेगा। यहां एक सैनिक स्कूल भी बनने वाला है। नंदानगर अंडर पास बन जाने से हवाई अड्डा जाना आसान हो गया।

कालेसर से गोरखपुर-सोनौली राजमार्ग को जोड़ने वाले बाईपास के बाद लखनऊ और वाराणसी से नेपाल की ओर जाने वाले वाहनों के शहर में न आने से यातायात और सुगम हो जाएगा। एक अदद पशु चिकित्सा संस्थान भी पाइप लाइन में है।


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