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लैंगिक न्याय के लिए तीन तलाक विधेयक की जरूरत : केंद्र

लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पर विचार कर इसे पारित करने के लिए पेश करते हुए गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लैंगिक न्याय के लिए तीन तलाक विधेयक को जरूरी बताया

लैंगिक न्याय के लिए तीन तलाक विधेयक की जरूरत : केंद्र
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नई दिल्ली। लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पर विचार कर इसे पारित करने के लिए पेश करते हुए गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लैंगिक न्याय के लिए तीन तलाक विधेयक को जरूरी बताया। इस विधेयक में तीन तलाक के मामलों में पति को तीन साल जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है।

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के 2017 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि तीन तलाक जैसे गैरकानूनी मामलों पर रोक लगाने के लिए न्यायालय ने संसद से इस मुद्दे पर एक कानून लाने के लिए कहा था। इसके साथ मंत्री ने विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 पेश किया।

प्रसाद ने कहा कि महिलाओं को 'तलाक-ए-बिद्दत' (एक ही बार में तीन तलाक कहना) द्वारा तलाक दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालाय ने कहा था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, मिस्र और ट्यूनीशिया सहित 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया है।

प्रसाद ने कहा कि अगर वे कर सकते हैं, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता, जो एक धर्मनिरपेक्ष देश है।

प्रसाद ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालाय ने कहा है कि तीन तलाक मनमाना और असंवैधानिक है। इसलिए संसद को एक कानून बनाने के लिए कहा गया। जब हम एक कानून लेकर आते हैं, तो इसका विरोध किया जाता है। हमारी मुस्लिम महिलाओं को इस स्थिति में क्या करना चाहिए?"

उन्होंने दोहराया, "सवाल यह है कि इस स्थिति में क्या किया जाना चाहिए? क्या हमारी मुस्लिम बहनों को छोड़ दिया जाना चाहिए (इसी स्थिति में)?"

उन्होंने कहा, "भारतीय संविधान का मूल दर्शन लैंगिक न्याय है और भारतीय संविधान सभी बेटियों के लिए समान है। इसलिए विधेयक की आवश्यकता है।"

मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर तीन बार अध्यादेशों को इसलिए लागू किया गया क्योंकि पिछली मोदी सरकार द्वारा लाए गए इसी तरह के विधेयक को संसदीय स्वीकृति नहीं मिली थी।

इसके बाद नई सरकार द्वारा जून में एक ऐसा ही एक विधेयक पेश किया गया।

इस विधेयक के तहत, तत्काल तीन तलाक के माध्यम से तलाक देना अवैध होगा और इसके लिए पति के लिए तीन साल की जेल की सजा होगी।

प्रसाद ने इन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि प्रस्तावित कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है और दावा किया कि मुकदमे से पहले जमानत के प्रावधान सहित कुछ सुरक्षा उपायों को इसमें रखा गया है।

मंत्री ने कहा कि पत्नी की सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट को जमानत देने की अनुमति देने का प्रावधान जोड़ा गया है।


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