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तीन तलाक विधेयक सोमवार को राज्यसभा में होगा पेश

तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार द्वारा संसद में लाया गया यह दूसरा विधेयक है, इससे पहले उसने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में पारित करवाया था

तीन तलाक विधेयक सोमवार को राज्यसभा में होगा पेश
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नयी दिल्ली। तीन तलाक संबंधी विधेयक को लोकसभा में पारित कराने के बाद सरकार सोमवार को इसे राज्यसभा में पेश करेगी। राज्यसभा की कार्यसूची में इसे सूचीबद्ध किया गया है।विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 सदन में पेश करेंगे। यह विधेयक 27 दिसंबर को लोकसभा में कांग्रेस तथा कई अन्य विपक्षी दलों के बहिर्गमन के बीच मत विभाजन से पारित हुआ था।

राज्यसभा में सत्ता पक्ष का बहुमत न होने के कारण इस विधेयक के पारित होने में अड़चनें आ सकती हैं, लेकिन सरकार सभी राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श कर इसे पारित कराने की जुगाड़ में लगी हुई है। विपक्ष ने लोकसभा में चर्चा के दौरान इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की पुरजोर मांग की थी और राज्यसभा में भी वह इस मुद्दे को उठायेगा। विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर विचार विमर्श के लिए सोमवार को ही बैठक बुलायी है। प्रसाद ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल के निर्णयों की जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आशा व्यक्त की थी कि इस विधेयक को पारित करने में राज्यसभा में सरकार को सभी दलों का समर्थन मिलेगा।

तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार द्वारा संसद में लाया गया यह दूसरा विधेयक है। इससे पहले उसने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में पारित करवाया था लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण यह राज्यसभा में लंबित है। इसके कारण सरकार को तीन तलाक को गैर-कानूनी तथा दंडनीय अपराध बनाने के लिए इस साल सितंबर में अध्यादेश लाना पड़ा। इसके स्थान पर सरकार नया विधेयक लेकर आयी जिसे लोकसभा में पारित होने के बाद सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाना है।

लोकसभा में यह विधेयक पारित होने पर भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में उसके सहयोगी दलों ने स्वागत किया है जबकि विपक्ष विधेयक में तीन तलाक को फौजदारी अपराध बनाने के प्रावधान को हटाने की माँग कर रहा है। राज्यसभा में कावेरी नदी पर बांध बनाने , आन्ध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने और राफेल सौदे में अनियिमतता जैसे मुद्दों पर हंगामा होने के कारण इस सत्र में एक दिन भी कामकाज नहीं हो सका है। इसे देखते हुए इस विधेयक को पारित कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगा।


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