राज्यसभा में तीन तलाक बिल लटका
विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए लाया गया बहुचर्चित तीन तलाक विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पारित नहीं हो पाया

नई दिल्ली। विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए लाया गया बहुचर्चित तीन तलाक विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पारित नहीं हो पाया लेकिन इस संक्षिप्त सत्र में लोकसभा ने 12 तथा राज्यसभा ने नौ विधेयको को मंजूरी दी। गुजरात विधानसभा चुनाव के कारण शीलकालीन सत्र नवम्बर के तीसरे सप्ताह की बजाय 15 दिसम्बर से शुरू हुआ और दोनों सदनों की 13-13 बैठकेें हुईं और आज यह संपन्न हो गया। सरकार ने आज ही बजट सत्र 29 जनवरी से बुलाने की घोषणा कर दी जो दो चरणों में छह अप्रैल तक चलेगा।
शीतकालीन सत्र में विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामे के कारण लोकसभा में करीब 15 घंटे बर्बाद हुए जबकि आठ घंटे 10 मिनट अतिरिक्त समय बैठकर उसने महत्तवपूर्ण कामकाज निपटाया। राज्यसभा में लगभग 34 घंटे हंगामे की भेंट चढ़ गए। इस संक्षिप्त सत्र में लोकसभा ने 12 विधेयक पारित किए जबकि 16 विधेयक पेश किए गए। राज्यसभा में नौ विधेयक पारित किए गए। इसी के साथ ही लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।
तीन तलाक को दंडनीय बनाने संबंधी विधेयक को लोकसभा ने पारित कर दिया था और इसके बाद इसे राज्यसभा में इसे पेश किया गया लेकिन इसे प्रवर समिति के पास भेजे जाने की विपक्ष की मांग पर सत्तापक्ष के साथ गतिरोध पैदा होने से यह ऊपरी सदन में अटक गया। सरकार ने अब इसे बजट सत्र में पारित कराने की बात कही है।
सुमित्रा व वेंकैया ने सत्र को बताया सार्थक
लोकसभा सत्र के दौरान 280 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध थे, जिसमें से 45 का जवाब मौखिक रूप से दिया गया। औसत रूप से प्रतिदिन 3.46 प्रश्नों के जवाब दिए गए। बाकी के तारांकित प्रश्नों के साथ ही 3,220 अतारांकित प्रश्ने के लिखित जवाब सदन पटल पर रखे गए। स्थायी समितियों ने 41 रपटें सदन में प्रस्तुत कीं। मंत्रियों ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर 44 बयान दिए और 2,255 दस्तावेज सदन पटल पर रखे गए। सदन में अलग से 98 निजी सदस्यों के विधेयक पेश किए गए। राज्यसभा में चार दिन शून्यकाल हुए। साथ ही, 46 तारांकित प्रश्नों के मौखिक जवाब दिए गए। 51 सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान अपनी बात रखी और 50 सदस्यों ने अति महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष रूप से सदन का ध्यान आकर्षित किया। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन व राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही को सार्थक बताया।
हेगड़े-मोदी की टिप्पणी पर हुआ संग्राम
गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को लेकर दोनों सदनों में विपक्ष आक्रामक रहा। इस पर हंगामे के कारण कई बार कार्यवाही में व्यवधान पड़ा। कौशल विकास राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगडे की संविधान के संबंध में की गई टिप्पणी को लेकर दोनों सदन में हंगामा हुआ। बाद में लोकसभा में उनके स्पष्टीकरण और माफी मांगने के बाद मामला शांत हुआ। विपक्ष ने पुणे हिंसा को भी दोनों सदन में जोर-शोर से उठाया। राज्यसभा में जनता दल यू के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता समाप्त किए जाने का मुद्दा भी उठा।
रास ने कर्ण सिंह, द्विवेदी और हाशमी को विदाई दी
राज्यसभा ने अपने तीन वरिष्ठ सदस्यों सर्वश्री डॉ. कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी और परवेज हाशमी को आज भावभीनी विदायी दी। इन तीनों सदस्यों का कार्यकाल इस महीने की 20 तारीख को पूरा हो रहा है। सभापति एम वेंकैया नायडू ने विधायी दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाने के बाद इन तीनों सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के बारे में सदन को जानकारी दी।


