तीन दिवसीय वीर मेले की हुई शुरूआत
राजाराव पठार में बालोद, धमतरी और कांकेर जिले के आदिवासी समाज द्वारा वीर मेले का आयोजन किया जाता है।

रायपुर। राजाराव पठार में बालोद, धमतरी और कांकेर जिले के आदिवासी समाज द्वारा वीर मेले का आयोजन किया जाता है। आदिवासी समाज की वेशभूषा संस्कृति को जानने का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां आकर आप उनकी संस्कृति से वाकिफ हो सकते है। इसे आदिवासी समाज का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। यहां हर साल आम लोगों के साथ साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी पहुंचते हैं। यहां तीन दिवसीय मेल में प्रदेश भर के ध्रुव गोड़, बैगा, कमार गोड़ नगारची समाज के आदिवासी शामिल होने पहुंचते हैं।
राजाराव पठार में तीन जिलों के आदिवासी समाज के तत्वावधान में प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी 8, 9 और 10 दिसम्बर को शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर विराट वीर मेला राजाराव पठार में आयोजन किया गया है। जिसमें देव स्थापना, देव मेला, आदिवासी हॉटबाज़ार, रैली, आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम, रेला पाटा, आदिवासी महापंचायत तथा शहीद वीरनाराण सिंह की श्रद्वांजली सभा का कार्यक्रम किया जाता है। इस बार शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया। मेले में बालोद, धमतरी, कांकेर, राजनांदगांव, मानपुर मोहला क्षेत्र के अदिवासी समाज के नागरिक, प्रतिनिधि पहुंचते हैं।
साल 2013 में शहीद वीर नारायण सिंह का नाम इस मेले से जोड़ा गया। उनकी शहादत दिवस के दिन ही इस मेले का समापन होता है। आदिवासी समाज के क्षेत्र के सभी देवी देवताओं के विशाल मिलन के बाद विशेष पूजापाठ का आयोजन मेले में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रामीणों के साथ गांव के देवी देवता भी इसमें शामिल होते है। यहां बाबा राजाराव के साथ लिंगो बाबा और चरवाहा देव भी स्थापित किया गया है। जिसके कारण इसे देव मेला भी कहते हैं।


