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3 से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं की हड़ताल

प्रदेश के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सहायिकाओं द्वारा राजधानी में बूढ़ातालाब के पास 31 जुलाई से 2 अगस्त तक किये हड़ताल को प्रदेश और देश भर में लोगों ने टेलीविजन के माध्यम से देखा तथा उसकी सराहना की

3 से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं की हड़ताल
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रायपुर। प्रदेश के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सहायिकाओं द्वारा राजधानी में बूढ़ातालाब के पास 31 जुलाई से 2 अगस्त तक किये हड़ताल को प्रदेश और देश भर में लोगों ने टेलीविजन के माध्यम से देखा तथा उसकी सराहना की। केवल छत्तीसगढ़ सरकार को यह हड़ताल मजदूरों का जोश भरा आंदोलन पसंद नहीं आया।

कारण भी स्पष्ट है पूंजीपरियों की सेवा करने वाली किसी भी सरकार को संसार भर में मजदूरों द्वारा की जाने वालीकोई भी हड़ताल कभी पसंद नहीं आती। चूंकि हड़ताल मजदूर वर्ग का हथियार है जिसके दबाव में सरकार को मजदूरों की मांगों को देना पड़ता है। इसलिए सरकार मजदूरों के हड़ताल को दबाना चाहती है उसे विफल करना चाहती है।

उक्ताशय की जानकारी आज एक पत्रकार वार्ता में गजेंद्र झा, सरिता पाठक और हेमा भारती ने संयुक्त रूप से दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के साथ ही आंगनबाड़ी योजना कर्मचारियों पर हमले शुरू हो गए। अपने पहले बजट में ही उन्होंने आईसीडीएस के केंद्रीय बजट में भारी कमी कर दी।

2013-14 के बजट में 27 हजार 700 करोड़ रुपये दिये गये थे जिसे हर साल घटाते-घटाते 2017-18 के केंद्रीय बजट में 15245 करोड़ 19 लाख रुपया कर दिया गया है। केंद्र सरकार के इस कदम से यह स्पष्ट है कि जन कल्याण के कामों में सरकार भारी कटौती कर रही है। जब बजट में धन की कमी होगी तो बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण पोषण आहार कैसे मिलेगा? कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का मानदेय कैसे बढ़ेगा? पीने का स्वच्छ पानी, आंगनबाड़ी भवन शौचालय, बच्चों के खेलकूद का सामान शिक्षा किट इत्यादि की गुणवत्ता में वृद्धि कम बजट में कैसे हो सकती है?


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