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आधे-अधूरे पड़े है हजारों शौचालय,बारिश बन सकती है बाधा

स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए आधे-अधूरे शौचालय को मानसूनी बारिश से क्षति पहुंचने की पूरी संभावना है

आधे-अधूरे पड़े है हजारों शौचालय,बारिश बन सकती है बाधा
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बिलासपुर। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए आधे-अधूरे शौचालय को मानसूनी बारिश से क्षति पहुंचने की पूरी संभावना है। शौचालय के लिए खोदे गए गड्ढों में पानी भरने के बाद इसे उपयोग में लाना लगभग असंभव हो जाएगा। वहीं शासन का आदेश है कि सप्ताह भर के भीतर अधूरे शौचालयों को पूरा करवाया जाए। लेकिन यह असंभव प्रतीत होता है। बिल्हा व कोटा विकासखण्ड में लगभग 20 हजार शौचालय अधूरे हैं जो बरसात में ढह सकते हैं और शासन को करोड़ों रूपए की क्षति हो सकती है। वहीं शौचालय पूर्ण कराने वाले कई सरपंच व हितग्राही अभी भी कर्ज में है।

गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने शासन एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। बजट की समस्या के बाद भी खुले में शौच मुक्त करने अभियान जारी है। जिले के पांच विकासखण्ड लगभग ओडीएफ हो गए हैं। बिल्हा व कोटा में निर्माण कार्य जोरों पर हैं। दोनों ब्लाकों को मिलाकर अभी लगभग 30 हजार शौचालय बनाए जाएंगे। जिसमें लगभग 20 हजार शौचालय आधे-अधूरे हैं। कईयों में छत नहीं ढाले गए हैं, तो किसी का स्ट्रेकचर ही तैयार हो पाया है, कहीं टंकी ही बन पाई है। अब चूंकि बारिश शुरू हो गई है और निर्माण जल्द पूरा नहीं किया जाएगा तो लाखों की क्षति हो सकती है। शासन दावा कर रहा है कि सप्ताह भर में शौचालय बनवा लिए जाएंगे जो असंभव है। शहर से लगे आसपास के गांव सिलपहरी, धूमा, विद्याडीह, नंगोई सहित कई ऐसे गांव हैं जहां शौचालय आधे-अधूरे हैं। शासन का पूरा अमला सरपंच, सचिव पर दबाव बनाए हुए हैं कि अधूरे शौचालयों का काम जल्दी से जल्दी पूरा कराएं लेकिन सप्ताह भर इसका पूरा होना संभव नहीं है।

पहले इस्तेमाल फिर ओडीएफ- तखतपुर जनपद पंचायत सीईओ राजेन्द्र पाण्डे ने देशबन्धु से चर्चा करते हुए बताया कि यहां लगभग शौचालय का काम पूर्ण कर लिया गया है। लोग यहां कम से कम तीन चार माह उपयोग करने की आदत डालें इसके लिए मैदानी अमला लोगों को जागरूक कर रहा है। इसके बाद ही ओडीएफ घोषित किया ाजएगा। जिले में पहली बार शौचालय निर्माण की राशि सीधे जिला पंचायत से ग्राम जल स्वच्छता समिति के खाते में जाएगी।

सरपंच सहित हितग्राही कर्जे में- शासन का दावा है कि लगभग पांच विकासखण्डों पेण्ड्रा, मरवाही, मस्तूरी, तखतपुर व गौरेला को खुले में शौचमुक्त कर लिया गया है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। लोग शौचालय तो बनवा लिए हैं लेकिन पैसे अभी तक नहीं मिले हैं। इसलिए सरपंच सहित हितग्राही भी कर्जे में है। शौचालय तो बन गए पानी की समस्या के कारण लोग उपयोग नहीं कर रहे हैं। कुछ सरपंच ऐसे भी है जिन्होंने अपना खेत गिरवी रखकर शौचालय के लिए मटेरियल खरीदा और उनको पूरा पैसा अब तक नहीं मिल पाया है। हालांकि शासन दावा कर रहा है कि बची हुई राशि जल्दी ही दे दी जाएगी।


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