भगवान जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा के साक्षी बने हजारों श्रद्धालु
लगातार हो रही बारिश के बीच हजारों श्रद्धालु रविवार को पुरी के पवित्र शहर में जमा हुए और बाहुड़ा यात्रा के साक्षी बने

भुवनेश्वर। लगातार हो रही बारिश के बीच हजारों श्रद्धालु रविवार को पुरी के पवित्र शहर में जमा हुए और बाहुड़ा यात्रा के साक्षी बने। बाहुड़ा यात्रा भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, भगवान सुदर्शन व देवी सुभद्रा की वापसी यात्रा है। घंटा, झाल, शंख व 'हरि बोल' के उच्चारण के बीच देवताओं को गुंडिचा मंदिर से बाहर लाया गया और उन्हें 'पहंडी' जुलूस के जरिए रथ पर ले जाया गया।
पुरी के राजा गजपति दिब्यसिंह देब ने 'छेरा पहनरा' (सोने के झाड़ू से रथों की सफाई) किया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने रथों को खींचना शुरू किया।
बाहुड़ा यात्रा भगवान जगन्नाथ और भाई-बहनों की गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर की वापसी का प्रतीक है।
मान्यता है कि देवता रथयात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह देवताओं के 12 सदी के मंदिर से देवी गुंडिचा मंदिर की नौ दिनों की यात्रा होती है। देवी गुंडिचा उनकी मौसी हैं।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अधिकारियों ने कहा कि धार्मिक संस्कार अपनी निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आयोजित हुए और यात्रा सुचारू रूप से हुई। हालांकि, शनिवार को हुई भारी बारिश के बड़ा डांडा (बड़ी सड़क) पर घुटने तक पानी लगा हुआ था।
देवताओं के सुना बेश (सोने के परिधान) सोमवार को उनके संबंधित रथों पर आयोजित किए जाएंगे।


