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सरकार की परिसीमन की भेंट चढ़ेंगे हजारों सहकारिता जनप्रतिनिधि : चन्द्रशेखर

प्रदेश के कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश में संचालित प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के पुनर्गठन के लिए अधिसूचना जारी की

सरकार की परिसीमन की भेंट चढ़ेंगे हजारों सहकारिता जनप्रतिनिधि : चन्द्रशेखर
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राजिम। प्रदेश के कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश में संचालित प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) के पुनर्गठन के लिए अधिसूचना जारी की गई है। प्रदेश के लिए प्रस्तावित समितियों के पुनर्गठन में विसंगति प्रतीत हो रही है, जिन गांवों को हटाकर नई समिति में जोड़ना प्रस्तावित किया गया है।

यह जानकारी देते हुए कृषक सेवा सहकारी समिति राजिम के अध्यक्ष चन्द्रशेखर साहू ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा कृषि सहकारी समिति के चुनाव के दो वर्ष बाद परिसीमन की नीति में हजारों निर्वाचित किसानों के प्रतिनिधियों की राजनीतिक हत्या करने की सोची समझी साजिश की बू आ रही है।

राज्य सरकार ने 25 जुलाई 2019 को प्रदेश में संचालित कृषि सेवा सहकारी समितियों के पुर्नगठन को मंजूरी दी है और इसमें आपत्ति दर्ज करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया पर आज दिनांक तक समिति के संचालक मंडल को यह आदेश अप्राप्त है। इसमें भी विसंगति है कि 15 दिन की अवधि किस दिनांक से माने इससे प्रदेश की सभी 1333 कृषि सेवा सहकारी समितियां प्रभावित हो रही है।

श्री साहू ने बताया कि शासन द्वारा समितियों को ऋण माफी के तहत डिफाल्टर किसानों का ऋणमाफ किया गया है उसकी भी राशि आज पर्यंत तक समितियों को अप्राप्त है। साथ ही विपणन वर्ष 2018-19 धान खरीदी एवं शून्य प्रतिशत शॉर्टेज का लाभांश व प्रोत्साहन राशि जो मिलता है वह भी समितियों को अप्राप्त है।

पूरे प्रदेश में सहकारी समितियों का करोड़ों रुपये की राशि अदा न करनी पड़े व इसके लिए सहकारी जनप्रतिनिधि आवाज न उठा सकें, इसलिए जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाया जा रहा है जो कि सरकार का तानाशाही फरमान प्रतीत होता है।

जिस प्रकार पंचायतों व नगरीय निकायों के वार्डों का परिसीमन होता है उसी तरह सहकारी समितियों के परिसीमन करने की कोशिश की जा रही है। इसमें वर्तमान समितियों से कुछ गांवों को हटाकर दूसरी समितियों में जोड़ा जाएगा, हालाँकि इसके लिए कुछ नियम बनाये गए हैं लेकिन सरकार की ओर से भेजी गई सूची को यथावत लागू कर दिया जाए तो किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। किसानों के प्रतिनिधि जो हजारों की संख्या में चुनकर आये हैं।,वे सभी सरकार की नई परिसीमन नीति की भेंट चढ़ जाएँगे।



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