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जाति- धर्म के नाम पर विभेद करने वाले द्रविड़ मॉडल को नहीं समझेंगे : स्टालिन

द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने रविवार को कहा कि ताकत और अहंकार का दंभ भरने तथा जाति-धर्म के नाम पर विभेद करने वाले राज्य के द्रविड़ मॉडल को नहीं समझ सकते

जाति- धर्म के नाम पर विभेद करने वाले द्रविड़ मॉडल को नहीं समझेंगे : स्टालिन
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चेन्नई। द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने रविवार को कहा कि ताकत और अहंकार का दंभ भरने तथा जाति-धर्म के नाम पर विभेद करने वाले राज्य के द्रविड़ मॉडल को नहीं समझ सकते।

श्री स्टालिन ने यह टिप्पणी राज्यपाल आरएन रवि के हाल में दिये गये उस बयान के संदर्भ में की है जिसमें कहा गया था कि द्रविड़ मॉडल वर्तमान सरकार की ओर से पेश राजनीतिक नारा और विचारधारा है जो एक भारत के खिलाफ है। उन्होंने हालांकि अपनी प्रतिक्रिया में राज्यपाल का नाम नहीं लिया।

द्रमुक सरकार का दो साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर यहां पार्टी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में द्रमुक को फिर से सत्ता में पहुंचाने वाली जनता स्पष्ट रूप से समझती है कि द्रविड़ मॉडल क्या है। उन्होंने कहा कि राज्य के बुद्धिमान लोगों ने प्रदेश में एक नयी सुबह लाने की उम्मीद में द्रमुक को फिर से सत्ता में लाया और उन्हें द्रविड़ मॉडल के बारे में बखूबी समझ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का चेहरा सत्ता , अहंकार , अलंकरण , अधिनायकवाद , सनातन(धर्म) नहीं बल्कि प्रेम , प्रजातंत्र , सरलता और बल्कि सामाजिक न्याय है। इसीलिए इसकी कुछ लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं वहीं कई लोगों द्वारा इसे पसंद किया जा रहा है। उन्होंने जोर दिया कि उन्हें सवाल करने वालों को जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है कि द्रविड़ मॉडल क्या है और इसका जवाब प्रदेश की जनता दे रही है।

उन्होंने तमिल दोहे तिरुक्कुरल में उद्धृत "पिरापोक्कुम एला उयिरक्कुम (सभी बराबर पैदा होते हैं)” का उल्लेख किया और कहा कि 'द्रविड़ियन मॉडल' का अर्थ "एलारुक्कुम इल्लम (सभी के लिए सब कुछ)” है।


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