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जो इस पागलपन में शामिल नही होगें वो मारे जाएंगे।

प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर प्रतिरोध दर्ज कराते हुए सभा की गयी

जो इस पागलपन में शामिल नही होगें वो मारे जाएंगे।
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लखनऊ। प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर प्रतिरोध दर्ज कराते हुए सभा की गयी। प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर से कहा कि भारत का संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, जिसके आधार पर लोकतंत्र चलता है। सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने का, असहमति का, लिखने का, सड़क पर उतरने का हक हमें मिलता है लेकिन वर्तमान दौर में हमारी आवाज़ दबाई जा रही है। दभोलकर, पांसारे, कालभुर्गी के बाद दक्षिणपंथी साम्प्रदायिक ताकतों नें गौरी लंकेश की हत्या की है। वर्तमान दौर में ऐसे लोगों को जिनको न झुकाया जा सके, न खरीदा जा सके और न दबाया जा सके, उनको यह कायर सत्ता खत्म कर रही है। लेखन और शब्दों को गोलियों से छलनी किया जा रहा है।

वक्ताओं ने कहा हमारा यह प्रतिरोध उनको यह बताने के लिए है कि सत्ता के मद में चूर यह भूल गये हैं कि न शब्द रूके हैं, न लेखन, न विरोध, न असहमति और न प्रतिरोध, न रूका है, न रूकेगा। यह विरोध उस प्रतिरोध के ज्वालामुखी की तरह है जिसके लावे को इस तरह की गोली और हत्यारी राजनीति ने भड़का दिया है, जो अब रूकने वाला नही है।

आज के प्रतिरोध में लखनऊ शहर के रंगकर्मी, साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, शिक्षक, सामाजिक सांस्कृतिक कार्यकर्ता, राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि, छात्र व तमाम अमन पसन्द लोग शामिल थे।

प्रदर्शन को सांझी दुनिया से प्रो0 रूपरेखा वर्मा, एडवा से मधु गर्ग, जनवादी लेखक संघ से नलिन रंजन सिंह, एपवा से ताहिरा, महिला फेडरेशन से आशा मिश्रा, मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशु मिश्रा, प्रसिद्ध आलोचक वीरेन्द्र यादव, इप्टा से राकेश, जनसंस्कृति मंच से कौशल किशोर, दस्तक मंच से दीपक कबीर, वैज्ञानिक समन हबीब, यूपीएमएसआरए से सुरजीत मुखर्जी आदि ने सम्बोधित किया।

प्रदर्शनकारियो ने एक स्वर से इस लड़ाई को जारी रखने का संकल्प दोहराया।


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