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भगवान के प्रसाद में मिलावट करने वाले दोषियों को मिलना चाहिए मृत्युदंड : कैलाश विजयवर्गीय

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने की खबर सामने आने के बाद देशभर में सियासत जारी है

भगवान के प्रसाद में मिलावट करने वाले दोषियों को मिलना चाहिए मृत्युदंड : कैलाश विजयवर्गीय
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इंदौर। आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने की खबर सामने आने के बाद देशभर में सियासत जारी है। इस मामले को लेकर मध्य सरकार में कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बयान दिया है। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार को इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, अगर लोग इस तरह से सनातन धर्म के साथ खिलवाड़ करेंगे, तो यह बहुत ही शर्मनाक है। मैंने खुद जब इस खबर को देखा, तो खाना तक नहीं खाया, मैंने भी वहां का प्रसाद खाया है और मुझे नहीं मालूम है कि मैंने कौन सी चर्बी खाई है। मेरा मन बहुत अशांत है और इस घटना को लेकर गुस्सा भी है। जिन लोगों ने ऐसा काम किया है, उन्हें मृत्युदंड मिलना चाहिए।"

कैलाश विजयवर्गीय ने राहुल गांधी के विदेश दौरे पर दिए बयान को लेकर भी पलटवार किया। उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि राहुल गांधी में अभी परिपक्वता नहीं है, वो एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। उनके द्वारा दिया गया बयान, नेता प्रतिपक्ष का ही माना जाता है। वह अपने पद को लेकर गंभीर नहीं हैं और उन्होंने देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का काम किया है। मेरा मानना है कि यह एक अक्ष्मय अपराध है।"

बता दें कि राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के तहत सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड लैब की रिपोर्ट में हुए खुलासे में यह बात सामने आई है कि तिरुपति मंदिर में भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में पशुओं की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

एनडीडीबी की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि तिरुपति मंदिर में भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में जानवरों के मांस की चर्बी और फिश ऑयल का इस्तेमाल किया गया। दावा किया गया कि यह सब कुछ उस घी में इस्तेमाल किया गया है, जिसका उपयोग प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रसाद का इस्तेमाल न सिर्फ भगवान को चढ़ाने के लिए किया गया, बल्कि भक्तों के बीच भी इसे बड़े पैमाने पर बांटा गया।


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