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यह है कश्मीरियों की बदनसीबी

इस तस्वीर को गौर से देखें। जिस व्यक्ति के हाथ में मैजिस्ट्रेट की स्टांप लगी है वह जेल में किसी से मिलने को नहीं गया है

यह है कश्मीरियों की बदनसीबी
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- सुरेश डुग्गर

जम्मू। इस तस्वीर को गौर से देखें। जिस व्यक्ति के हाथ में मैजिस्ट्रेट की स्टांप लगी है वह जेल में किसी से मिलने को नहीं गया है बल्कि उसकी बदनसीबी है कि उसे जरूरी काम की खातिर जम्मू श्रीनगर राजमार्ग का इस्तेमाल करना है और उसके लिए उसने स्थानीय मैजिस्ट्रेट से जो अनुमति ली वह किसी कागज पर नहीं बल्कि शरीर के अंग पर स्टांप लगा कर दी गई है। इससे अधिक दुर्भाग्य जम्मू कश्मीर के लोगों का नहीं हो सकता जिन्हें रविवार और बुधवार को अपनी ही सड़कों का इस्तेमाल करने की खातिर इस प्रकार की प्रक्रिया के दौर से गुजरना पड़ रहा है।

यह कड़वा सच है जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा करने के लिए लोगों को अपने हाथ पर मुहर लगवानी पड़ रही है। लोगों की हथेली पर मैजिस्ट्रेट की ओर से मुहर लगाई जा रही है। इस मुद्दे पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया है। अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा है कि कुछ इस तरह से कश्मीर के लोगों को उनके हाईवे का इस्तेमाल करने के लिए अनुमति दी जा रही है। उनके हाथ पर स्टैंप लगाये जा रहे हैं और लिखा जा रहा है। मैं नहीं जानता क्या कहा जाये। मैं लोगों से अपमानजनक, अमानवीय व्यवहार पर नाराज हूं।

मिली जानकारी के अनुसार यह मामला राज्य के अनंतनाग में सामने आया है। बीते दिनों हफ्ते में दो दिन तक हाईवे बंद करने संबंधी अधिसूचना भी जारी की गई थी जिसका राज्य के नेताओं ने काफी विरोध किया था। अधिसूचना में कहा गया था कि श्रीनगर, काजीगुंड, जवाहर-सुरंग, बनिहाल और रामबन से होकर गुजरने वाले बारामुल्ला-उधमपुर राजमार्ग पर नागरिक यातायात पर लगा बैन प्रभावी होगा। यह प्रतिबंध दो दिन सुबह 4 बजे से शाम 5 बजे तक लागू रहेगा।

उमर अब्दुल्ला रविवार व बुधवार को नागरिक यातायात पर प्रतिबंध लगाए जाने के खिलाफ यहां राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरने पर बैठे हैं। नेकां के अन्य वरिष्ठ नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उमर अब्दुल्ला श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में स्थित नौगाम में राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरने पर बैठे थे। हाथों में पोस्टर और बैनर लिए नेकां समर्थकों ने बुधवार और रविवार को नागरिक यातायात पर प्रतिबंध के खिलाफ नारेबाजी भी की।

हालांकि मेडिकल एमर्जंेसी, वकीलों, चिकित्सकों, पर्यटकों, सरकारी कर्मचारियों, स्कूली बसों और किसानों की आवाजाही पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होने की बात सरकारी तौर पर कही जा रही है लेकिन हकीकत में इसे लागू नहीं किया जा रहा है जबकि अब तो सेना और राज्य प्रशासन भी इस मामले पर आमने-सामने है जिसका कहना है कि ऐसा फैसला करते समय राज्यपाल प्रशासन ने उससे सलाह मशविरानहीं किया था।


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