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पहली बार नहीं है धर्म पूछ कर गोली मारना कश्मीर में

इसकी शुरूआत आज से 32 साल पूर्व उस समय शुरू हुई थी जब आतंकियों ने पहली बार किश्तवाड़ कस्बे के सरथल इलाके में एक यात्री बस में सवार लोगों में से 17 हिन्दुओं को अलग कर उनकी जांच कर मौत के घाट उतार दिया था

पहली बार नहीं है धर्म पूछ कर गोली मारना कश्मीर में
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--सुरेश एस डुग्गर--

जम्मू, 23 अप्रैल। पहलगाम के बसारन टूरिस्ट स्पाट पर धर्म पूछ और जांच कर हत्याएं करने का वाक्या पहला नहीं है कश्मीर में। इसकी शुरूआत आज से 32 साल पूर्व उस समय शुरू हुई थी जब आतंकियों ने पहली बार किश्तवाड़ कस्बे के सरथल इलाके में एक यात्री बस में सवार लोगों में से 17 हिन्दुओं को अलग कर उनकी जांच कर मौत के घाट उतार दिया था।

तब यह पहला सबसे बड़ा नरसंहार था जम्मू कश्मीर में और पहली ऐसी घटना जिसमें आतंकियों ने स्पष्ट कर दिया थाि क वे कश्मीर में आजादी की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं बल्कि वे धर्म के नाम पर मारकाट मचाने आए हैं। हालांकि तब भी इसे विदेशी आतंकियों ने अंजाम दिया था और कल भी 28 टूरिस्टों को मारने वाले विदेशी आतंकी ही थे।

किश्तवाड़ की घटना के उपरांत धर्म पूछ कर और जांच कर हत्याएं करने का जो सिलसिला जम्मू कश्मीर में शुरू हुआ उसमें 136 नरसंहारों को भूला नहीं जा सकता जिन्हें आज तक आतंकी अंजाम दे चुके हैं। इन नरसंहारों मंें हालांकि एक दो को छोड़ कर सभी में निशाना हिन्दू ही थे।

हालांकि वर्ष 2006 के उपरांत ऐसे नरसंहारों में थोड़ी बहुत ब्रेक लगी थी लेकिन वर्ष 2023 में एक जनवरी की रात आतंकवादियों ने राजौरी जिले के डांगरी गांव में सात हिन्दुओं के आधार कार्ड जांच कर मार डालने की घटना ने एक बार फिर अधिकारियों को चौंका दिया था।

इतना जरूर थ ाकि इन 136 के करीब नरसंहारों में उनके निशाने अधिकतर प्रदेश के ही निवासी थे पर अब करीब सवा दो साल के उपरांत एक बार फिर आतंकियों ने पहलगाम में हिन्दुओं की पहचान कर 28 को मार डाला और पूरे हिन्दुस्तान को जख्म दिया है क्योंकि मृतकों में एक स्थानीय को छोड़कर बाकी पूरे देश से संबंध रखने वाले थे।


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