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शासन प्रशासन ने मिलकर ऐसे लगाया प्रधानमंत्री मोदी के महिला सशक्तीकरण को पलीता
जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक जिला पंचायत के सभाकक्ष में 23 अप्रैल को आयोजित हुई और इसी बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के महिलाओं के अधिकार और अवसर देने की भावना की जमकर धज्जियां उड़ाई गई।

गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने तो 24 अप्रैल 2015 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर उन्होंने कहा था कानून ने महिलाओं को अधिकार दिए हैं। जब कानून उन्हें अधिकार देता है, तो उन्हें अवसर भी मिलना चाहिए। इस सरपंच पति संस्कृति को खत्म करें। लेकिन हकीकत यह है कि मध्यप्रदेश शासन के मंत्री और अफसर मिलकर प्रधानमंत्री मोदी जी के इस सपने को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक जिला पंचायत के सभाकक्ष में 23 अप्रैल को आयोजित हुई और इसी बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के महिलाओं के अधिकार और अवसर देने की भावना की जमकर धज्जियां उड़ाई गई।

यह तस्वीर है उस बैठक की जहां जल जीवन मिशन की समीक्षा मध्यप्रदेश शासन के उद्यानिकी व खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भारत सिंह कुशवाह कर रहे हैं। साथ ही वे जल जीवन मिशन के माध्यम से घर घर तक पहुंचाने के कार्य को प्रार्थमिकता देने के निर्देश दे रहे हैं। लेकिन आप इस तस्वीर में देख सकते हैं कि मंत्री भारत सिंह के साथ ज्यादातर पुरुष ही बैठे हुए हैं। अब आपको बता दे कि यह पुरुष न तो जिला पंचायत सदस्य हैं न ही निर्वाचित जनप्रतिनिधि। बल्कि यह हैं जिला पंचायत सदस्यों के पति परमेश्वर। यहां सबसे गम्भीर बात यह है कि पतियों के बैठने की आपत्ति न तो मध्यप्रदेश शासन के जिम्मेदार मंत्री भारत सिंह ने दर्ज की, न ही वहां उपस्थित किसी प्रशासनिक अधिकारी ने। जबकि जिला पंचायत के ऐसीईओ विजय दुबे भी बैठक में मौजूद थे। उनका वहां होकर भी आपत्ति न दर्ज करना बताता है कि वह भी प्रधानमंत्री मोदी के महिला शसक्तीकरण के विचार के पक्षधर नहीं हैं।

अब आपको बताते हैं के कौन कौन पति परमेश्वर अपनी पत्नी के स्थान पर जिला पंचायत सदस्य बनकर बैठक में उपस्थित हुए और मोदी जी के विचार को दरकिनार किया। आलोक शर्मा बैठक में अपनी पत्नी श्रीमती अंजू की जगह पर उपस्थित हुए। मुकेश परिहार अपनी पत्नी श्रीमती नेहा की जगह पर बैठक में कुर्सी पर डटे रहे। राजू खटीक अपनी पत्नी श्रीमती मंजू की जगह कुर्सी पर नजर आए। जसवंत झाला अपनी पत्नी श्रीमती आशा की जगह बैठक में जमे रहे। अभी हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए कुलेथ के नेता जी शिवराज यादव भी अपनी पत्नी की जगह बैठक में सम्मान उपस्थित रहे। शिवराज यादव ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तब भी उन्होंने खुद को जिला पंचायत सदस्य बताया था। इन सबसे बड़ी बात कि जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दुर्गेश की जगह भी उनके पति कुंवर जाटव बैठक में नजर आए। जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती प्रियंका सतेंद्र गुर्जर ज़रूर स्वयं उपस्थित रहीं और उन्होंने और उनके पति ने प्रधानमंत्री मोदी के विचार का कुछ हद तक मान रख लिया।
अब आपको जो हम बताने जा रहे उसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी के महिलाओं को अधिकार व अवसर दिए जाने के इस मामले में शासन का जनसंपर्क विभाग भी पीछे नहीं है। जन संपर्क विभाग ने इस समीक्षा बैठक का को प्रेस नोट जारी किया उसमे वास्तविक महिला जिला पंचायत सदस्यों की जगह उनके पतियों के ही नाम छापने के लिए दिए गए। जो प्रेस रिलीज जारी किया गया उसमे जनसंपर्क द्वारा लिखा गया, " बैठक में जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमति प्रियंका सतेंद्र गुर्जर, जिला पंचायत सदस्य सर्वश्री आलोक शर्मा, जितेंद्र यादव, राजू खटीक, आशा जसवंत झाला, मंदे बाई, शिवराज यादव, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजय दुबे......" इस तरह आप देख सकते हैं कि जनसंपर्क विभाग ने भी पतियों को ही सदस्य घोषित कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी को यह विचार रखे पूरे 9 साल हो गए लेकिन महिला ओ के अवसर कुचल कर चल रही पति संस्कृति खत्म नहीं हो पाई है। अब तक मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से इस कुप्रथा को समाप्त करने में कार्रवाई नहीं की गई। इस बैठक में महिला जिला पंचायत सदस्यों की जगह उनके पति का होना बता रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के महिलाओं को अधिकार व अवसर दिए जाने के विचार को लेकर शासन प्रशासन गम्भीर नहीं है। प्रदेश सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ग्वालियर ग्रामीण से विधायक हैं। शिवराज सरकार में मंत्री हैं। अब उनकी उपस्थिति में ही यह हालत है तो इस तरह महिलाओं के अधिकार व अवसर को पलीता लगाने की जवाबदेही कौन लेगा?
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