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ये विधानसभा फैसला करेंगी कि 2024 किसका होगा

अब कांग्रेस के वापस इंडिया में समाहित होने का समय है

ये विधानसभा फैसला करेंगी कि 2024 किसका होगा
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- शकील अख्तर

अगर इन विधानसभा चुनावों में भाजपा जीत गई तो राज्यों से भाजपा का नेतृत्व पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जैसे पहले महाराष्ट्र में फड़नवीस और हरियाणा में खट्टर को लाकर बिठा दिया वैसे ही वे राज्यों में किसी को मुख्यमंत्री बना देंगे। पार्टी में अभी भी है मगर फिर पूरी तरह मोदी मोदी ही हो जाएगा। जो कभी मध्य प्रदेश में शिवराज या राजस्थान में वसुंधरा नाम सुनने को मिलता था वह खत्म हो जाएगा।

अब कांग्रेस के वापस इंडिया में समाहित होने का समय है। चार राज्यों के चुनाव हो गए हैं। पांचवे तेलंगाना के 30 नवंबर को हो जाएंगे। पांचों राज्यों में कांग्रेस मुख्य रोल में थी। भाजपा केवल तीन राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में थी। बाकी मिजोरम में भाजपा जो अभी सरकार में है वह खत्म हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो सब जगह चुनाव में जाते हैं, स्थानीय निकायों तक के, वे मिजोरम गए ही नहीं। साढ़े 9 साल में यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री किसी राज्य के चुनाव में नहीं गए।
कारण बहुत स्पष्ट मणिपुर था जो करीब 7 महीने से गृह युद्ध की आग में जल रहा है। 200 के करीब लोग मारे जा चुके हैं। जिनमें सेना और सुरक्षा बल के लोग भी शामिल हैं। विपक्ष के नेता राहुल वहां हो आए हैं। मगर प्रधानमंत्री वहां गए ही नहीं। नाराजगी और गुस्सा सिर्फ वहां के लोगों में ही नहीं है मणिपुर के आसपास के इलाकों में भी है।

उसी मणिपुर से मिजोरम की सीमा लगी हुई है। भारी हिंसा के बाद लोग मणिपुर से पलायन करके मिजोरम पहुंचे थे। अभी भी हजारों लोग वहां शरणार्थी की तरह रह रहे हैं। प्रधानमंत्री के मणिपुर न जाने और हिंसा रोकने के कोई गंभीर प्रयास नहीं करने, राज्य सरकार जो पूरी तरह फेल हो गई है उसे बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन तक न लगाने से पड़ोसी मिजोरम में इतना आक्रोश है कि वहां के मुख्यमंत्री जोरमथांगा जो वहां भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं, को यहां तक कहना पड़ा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी आए तो वे उनके साथ मंच शेयर नहीं करेंगे। आज तक किसी प्रधानमंत्री के लिए यह नहीं कहा गया है।

मगर गोदी मीडिया यह नहीं चलाएगा। वह पूरी ताकत से हाई लाइट करेगा कि मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो फाइटर प्लेन में उड़े। कुछ टीवी चैनलों ने तो यहां तक चलाया कि मोदी ने फाइटर प्लेन उड़ाया!

जनता को बिल्कुल ही बेवकूफ समझ रखा है। बिना सीखे तो कोई साइकल नहीं चला सकता। मगर मोदी जी ने फाइटर प्लेन उड़ाया! और दूसरी बात इनसे पहले कोई प्रधानमंत्री इसमें नहीं उड़ा! मतलब कोई और अगर उड़ना चाहता तो एयर फोर्स मना कर देती!

हद है! प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद पर बैठे किसी व्यक्ति की क्या यह ख्वाहिश हो सकती है कि वह फाइटर प्लेन में घूमे? प्रधानमंत्री के लिए करने को बहुत काम होते हैं। केवल नेहरू पर दोष मढ़ने और जहाजों में घूमने का ही काम नहीं होता है। बल्कि यह भी देखने का होता है कि हमारे 41 मजदूर दो हफ्ते से ज्यादा समय से सुरंग में किस तरह फंसे हुए हैं।

जिस समय प्रधानमंत्री तेजस, जिसे बनाया भी कांग्रेस के समय ही गया था, में बैठने से पहले फोटो खिंचवा रहे थे उस समय उत्तराखंड से सबसे खराब खबर आ रही थी कि मजदूरों को निकालने वाली मशीन टूट गई है। जिस विदेशी मशीन से उम्मीद बंधी थी वह अब काम नहीं कर सकेगी।

मगर इन सबसे बेपरवाह प्रधानमंत्री अलग- अलग मुद्राओं में तेजस के साथ फोटो बनवा रहे थे और टीवी में इस तरह बता रहा था कि जैसे सिर्फ तेजस ही नहीं उसे बनाने वाली हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) भी 2014 के बाद ही बनी है। कांग्रेस के समय में बनाए गए एचएएल का कोई जिक्र नहीं।

लगता है जैसे प्रधानमंत्री इन सब चीजों से बहुत ऊपर उठ गए हैं। मणिपुर की हिंसा पर कोई बयान नहीं। दिल्ली और एनसीआर में इतना जबर्दस्त वायु प्रदूषण फैल रहा है उस पर एक मीटिंग नहीं। यह दिल्ली और एनसीआर से आगे जाकर कई राज्यों में अपना असर दिखा रहा है क्या बिना केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप के इस समस्या का कोई समाधान संभव है? मगर प्रधानमंत्री मौन! वैसे ही जैसे चीन की घुसपैठ पर हैं। वह तो अच्छा है मामला केन्द्र सरकार पर नहीं आ रहा। मीडिया पूरा दोष दिल्ली सरकार पर रख रहा है कि उसी की गलती है नहीं तो प्रधानमंत्री जी को चीन के मामले की तरह यहां भी यह कहना पड़ता कि कोई प्रदूषण नहीं है। न कोई जहरीली हवा आई है, न है।

और सबसे गजब तो जनता की तंद्रा है। वह साढ़े 9 साल से ऐसे सोई हुई है कि उसे किसी चीज से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा। नौकरी नहीं है, महंगाई दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री राजस्थान में जाकर कह रहे हैं कि 450 का सिलेंडर देंगे। अरे भाई जब वहां दे सकते हो तो पूरे देश में एक हजार से ऊपर का क्यों? सब जगह साढ़े चार सौ का दीजिए ना! मगर कोई पूछने वाला नहीं। प्रधानमंत्री के जो मन में आता है बोलते हैं और जो नहीं बोलना होता, जनता के मतलब की बात होती है वह नहीं बोलते। मंगलयान से मंगल ग्रह पर अपना फोटो पहुंचा देते हैं। और देश में ही मणिपुर, मिजोरम नहीं जाते।

यह पांच राज्यों के चुनाव इस बात का भी फैसला करेंगे कि क्या मोदी का यह मेरी मर्जी का एटिट्यूट जारी रहेगा या उन्हें जवाबदेह बनना होगा। जवाबदेह जनता के प्रति, मगर साथ में अपनी पार्टी के प्रति भी। अभी मोदी जी किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं। संसद के प्रति भी नहीं। वहां सदन में बैठते ही नहीं हैं। विपक्ष का तो रोज, नए-नए नाम झूठों का सरदार, घमंडिया और भी बहुत सारे रखकर, मजाक उड़ाते रहते हैं उसे जवाब देने का तो सवाल ही नहीं। जनता को हिन्दू-मुसलमान के नशे में ऐसा बेसुध कर रखा है कि वह अपने बच्चों का भविष्य तक भूल गई है और अपनी पार्टी भाजपा के नेताओं को तो उन्होंने इन विधानसभा चुनावों में बता ही दिया कि वे राज्यों के चुनाव भी बिना राज्यों के नेताओं को साथ लिए लड़ सकने का दम दिखा सकते हैं। अब परिणाम जो भी हो उन्होंने राजस्थान में वसुंधरा राजे को किनारे धकेल कर और मध्य प्रदेश में तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम तक न लेकर यह चुनाव लड़ लिया।

अब अगर इन विधानसभा चुनावों में भाजपा जीत गई तो राज्यों से भाजपा का नेतृत्व पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जैसे पहले महाराष्ट्र में फड़नवीस और हरियाणा में खट्टर को लाकर बिठा दिया वैसे ही वे राज्यों में किसी को मुख्यमंत्री बना देंगे। पार्टी में अभी भी है मगर फिर पूरी तरह मोदी मोदी ही हो जाएगा। जो कभी मध्य प्रदेश में शिवराज या राजस्थान में वसुंधरा नाम सुनने को मिलता था वह खत्म हो जाएगा। लेकिन अगर मोदी जी हार गए तो फिर 2024 उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा। अभी यह पांच राज्यों में कांग्रेस लड़ रही है। और अगर जीत गई तो वह इंडिया हो जाएगी। मतलब फिर 2024 के लिए वह विपक्षी एकता को वापस मजबूत करने में लग जाएगी।

2024 में मोदी से कोई विपक्षी पार्टी अकेले नहीं लड़ सकती। चाहे इन विधानसभाओं में मोदी जो हर राज्य में खुद ही लड़ रहे हैं हार भी जाएं। वह हार कर भी इतने मजबूत रहेंगे कि अकेले कांग्रेस या यूपी में सपा या बंगाल में तृणमूल या दिल्ली में केजरीवाल कोई सोचे कि वह हरा देगा तो आसान नहीं है। लेकिन अगर सब मिलकर इंडिया बन कर लड़े तो फिर मोदी जी के लिए 2024 आसान नहीं होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)


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