Top
Begin typing your search above and press return to search.

राजस्थान विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे को नहीं मिली तवज्जो

राजस्थान में सोलहवीं विधानसभा के लिए हाल में हुए चुनाव में मतदाताओं के छोटी राजनीतिक पार्टियों को तवज्जों नहीं देने से इस बार भी तीसरा मोर्चा उभरकर सामने नहीं आ सका।

राजस्थान विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे को नहीं मिली तवज्जो
X

जयपुर। राजस्थान में सोलहवीं विधानसभा के लिए हाल में हुए चुनाव में मतदाताओं के छोटी राजनीतिक पार्टियों को तवज्जों नहीं देने से इस बार भी तीसरा मोर्चा उभरकर सामने नहीं आ सका।

इस चुनाव में जनता ने तीसरे मोर्चे को पूरी तरह नकार दिया जिससे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आम आदमी पार्टी (आप) सहित कुछ अन्य दलों के तीसरे मोर्चे के रुप में इस चुनाव में उभरकर सामने आने के जहां दावे खोखले साबित हुए वहीं इन पार्टियों के नेताओं के उनके दल के सहारे बिना किसी की सरकार नहीं बन पाने के सपने भी चूर हो गए। इस चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर अन्य पार्टियों की कुल सात सीटें आई जबकि इस बार इनसे अधिक आठ निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।

इससे तीसरे मोर्चा के लिए प्रयास कर रहे रालोपा के संयोजक हनुमान बेनीवाल को सबसे ज्यादा झटका लगा है और वह इस चुनाव में केवल खुद ही खींवसर से चुनाव जीत पाये हैं जबकि पिछले चुनाव में उनकी पार्टी के तीन प्रत्याशी विधायक चुने गए थे। पिछले चुनाव के ठीक पहले नई पार्टी बनाने वाले श्री बेनीवाल पार्टी के गठन से ही प्रदेश में तीसरे मोर्च के उभरकर सामने आने के दावे कर रहे हैं और पिछले लोकसभा चुनाव में रालोपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी और श्री बेनीवाल सांसद भी बने। गत 25 नवम्बर को हुए विधानसभा चुनाव के लिए रालोपा ने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन करके 120 से अधिक उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था।

हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बाद सबसे ज्यादा 185 उम्म्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने वाली बसपा के इस चुनाव में केवल दो उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाये जबकि पिछले चुनाव में इसके छह प्रत्याशी विधानसभा पहुंचे लेकिन बाद में सभी कांग्रेस में शामिल हो गए।
इस चुनाव में इस बार भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) कांग्रेस और भाजपा के बाद सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी बन गई जिसने तीन सीटें जीती जबकि उसने इस चुनाव में 27 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा। बीएपी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) से अलग होकर नई पार्टी बनी है। गत विधानसभा चुनाव में बीटीपी के दो प्रत्याशी विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) पार्टी का एक प्रत्याशी ने चुनाव जीता। पिछले विधानसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस की गहलोत सरकार में मंत्री बने सुभाष गर्ग इस बार फिर रालोद के टिकट पर चुनाव जीता। रालोद ने इस चुनाव में केवल एक ही अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा।
पिछले विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीतने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) इस बार एक भी सीट नहीं जीत पाई। इस चुनाव में इसके अलावा आप पार्टी ने भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और आप के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजस्थान में जनसभाएं कर कई दावे किए और 86 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे लेकिन उनकी पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई। इसी तरह रालोपा के साथ गठबंधन करने वाली एएसपी (कांशीराम) ने 46 उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया लेकिन किसी प्रत्याशी को चुनावी सफलता हाथ नहीं लगी।
इसी तरह जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पार्टी के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी चुनाव से पहले दावा किया था कि जेजेपी की चाबी से सरकार का ताला खुलेगा लेकिन इस चुनाव में उनका खाता भी नहीं खुला। इस चुनाव में राइट टू रीयल पार्टी ने 26, आईपीजीपी ने 22, एआरपी ने 20 बीएमपी ने 18, माकपा ने 17, एवं एएलपी, एआईएमआईएम एवं बीटीसी ने 10-10 प्रत्याशी सहित अन्य कई पार्टियों ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे लेकिन इनके किसी प्रत्याशी को चुनाव जीतने का अवसर नहीं मिला।
उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में भाजपा 115 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया जबकि कांग्रेस 69 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it