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चोरों काे डरा कर ही रहूंगा, इसी के लिए जीवन खपाया है : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन को भ्रष्टाचार की ‘महामिलावट’ करार देते हुए गुरुवार को कहा कि आज चोर उलटा चौकीदार को डांट रहे है

चोरों काे डरा कर ही रहूंगा, इसी के लिए जीवन खपाया है : मोदी
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन को भ्रष्टाचार की ‘महामिलावट’ करार देते हुए गुरुवार को कहा कि आज चोर उलटा चौकीदार को डांट रहे है लेकिन वह चोर-लुटेरों को डरा कर रहेंगे क्योंकि देश ने 2014 में उन्हें यही काम साैंपा था और उन्होंने इसके लिए अपनी जिन्दगी खपाई है।

श्री मोदी ने यहां लोकसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर करीब दस घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए अपने भाषण के अंत में एक कविता की पंक्तियां भी पढ़ीं, “सूरज आएगा भी तो कहां,

उसे यहीं रहना होगा।

यहीं हमारी सांसों में रहना होगा

हमारी रगों में रहना होगा

हमारे संकल्पों में, हमारे रतजगों में रहना होगा

तुम उदास मत हो

मैं किसी भी सूरज को नहीं डूबने दूंगा।”

प्रधानमंत्री ने अपने लगभग एक घंटे 42 मिनट के भाषण में विपक्ष पर करारे प्रहार किये और राफेल सौदे से लेकर विपक्षी दलों के महागठबंधन तक सब विषयों पर तीखी टिप्पणियां कीं। उन्होंने बहुत आत्मविश्वास के साथ पहली बार वोट देने के लिए तैयार युवाओं के सामने नये भारत का सपना रखा तथा नोटबंदी एवं वस्तु एवं सेवा कर को अपनी सफलता बताया। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों और कांग्रेस के शासनकाल के कामाें की तुलना 55 साल के सत्ताभोग बनाम 55 महीने के सेवाभाव के विशेषण के साथ की। उन्होंने आक्रामक अंदाज के साथ भाषण शुरू किया और विपक्ष की ओर से जब टोका टाकी हुई तो उन्होंने सख्त स्वरों में चेताया, “मैं मर्यादा में रहूं तो अच्छा होगा।”

श्री मोदी ने कहा कि चर्चा के दौरान कुछ आलोचना, कुछ बेसिरपैर की बातें और मन की खरीखोटी बातें कहीं गयीं हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण स्वाभाविक रूप से मजबूरी से लोगों को कुछ भी बोलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सत्र के बाद जनता को अपने काम का हिसाब देना है। उन्होंने आगामी चुनाव के स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धी चुनाव होने की बात कही।

उन्होंने पहली बार वोट देने की तैयारी करने वाले युवाओं का अभिनंदन करते हुए उनके सामने नये भारत की बात रखी और कहा कि नये भारत की बात आशा एवं विश्वास की बात है। निराशा में डूबे हुए लोगों और रोना रोने वालों के आस पास भी आशा एवं विश्वास नहीं फटकते। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि अतीत एवं विनाश के काल से गुजरने के बाद नये भारत का मार्ग खुल रहा है। वह अंकुरित हो रहा है। नये पल्लव निकल रहे हैं और वह विशालकाय शक्तिशाली वृक्ष बनना शुरू हो गया है।


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