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इन्हीं कारणों से कांग्रेस की ये हालत', ईरान के मुद्दे पर नितेश राणे का विपक्षी पार्टी को जवाब

इजरायल और ईरान की जंग पर भारत में राजनीतिक घमासान मचा है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विदेश नीति पर सवाल उठाए थे, जिस पर सत्ता पक्ष की तरफ से जवाब दिया गया

इन्हीं कारणों से कांग्रेस की ये हालत, ईरान के मुद्दे पर नितेश राणे का विपक्षी पार्टी को जवाब
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सिंधुदुर्ग। इजरायल और ईरान की जंग पर भारत में राजनीतिक घमासान मचा है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विदेश नीति पर सवाल उठाए थे, जिस पर सत्ता पक्ष की तरफ से जवाब दिया गया। इसी क्रम में महाराष्ट्र भाजपा के नेता और मंत्री नितेश राणे ने कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरफ से ईरान का समर्थन करना आश्चर्य जैसी चीज नहीं है।

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने एक बयान में कहा, "कांग्रेस जैसी पार्टियां मुस्लिम लीग की बी टीम रही हैं। भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिशें कांग्रेस जैसी पार्टियों ने रचीं। कांग्रेस की तरफ से ईरान का समर्थन करना आश्चर्य जैसी चीज नहीं है। इन्हीं कारणों की वजह से कांग्रेस की ये हालत हुई है। तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से ही गांधी परिवार की विश्वसनीयता कम हुई है।"

ईरान-इजरायल मुद्दे पर सोनिया गांधी ने पिछले दिनों एक लेख लिखा, जिस पर देश के भीतर सियासत जारी है। सोनिया गांधी ने सीधे तौर पर ईरान का समर्थन करने वाला लेख लिखा था, जिसमें इजरायल के हमलों की भी निंदा की गई। इसको लेकर सोनिया गांधी ने सरकार की नीति पर भी सवाल उठाए थे। सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा था, "इजरायल की ओर से गाजा में तबाही और बिना किसी कारण ईरान पर सैन्य हमलों के खिलाफ भारत की चुप्पी साफ करती है कि मौजूदा सरकार ने अपनी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं को त्याग दिया है।"

सोनिया गांधी के इस लेख के बाद भाजपा ने कांग्रेस को लगातार घेरा है। सोनिया गांधी के संपादकीय पर भाजपा सांसद रेखा शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि वो सिर्फ एक खास वोट बैंक को खुश करने के लिए ऐसी बातें लिखती रही हैं।

रेखा शर्मा ने कहा, "भारत हमेशा शांति के पक्ष में खड़ा रहा है और एक शांतिप्रिय देश है। भारत ईरान और इजरायल दोनों का मित्र है और प्रधानमंत्री मोदी का दोनों देशों में सम्मान किया जाता है। भारत दोनों के बीच शांति चाहता है, लेकिन किसी एक का पक्ष नहीं लेता। समझने वाली बात है कि अचानक से सोनिया गांधी विदेश नीति में रुचि लेने लगी हैं।"


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