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जम्मू-कश्मीर में महिलाओं, दलितों को अधिकारों से वंचित करने के वक्त चुप्पी थी : सीतारमण

भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि तब चुप्पी साध रखी गई थी, जब कश्मीर में महिलाओं को संपत्ति अधिकार से वंचित किया गया

जम्मू-कश्मीर में महिलाओं, दलितों को अधिकारों से वंचित करने के वक्त चुप्पी थी : सीतारमण
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न्यूयार्क। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि तब चुप्पी साध रखी गई थी, जब कश्मीर में महिलाओं को संपत्ति अधिकार से वंचित किया गया और दलितों के साथ अन्याय हो रहा था। और, जब क्षेत्र के विशेष दर्जे को हटा दिया गया तो अचानक से मानवाधिकार एक बड़ा मुद्दा बन गया।

उन्होंने यहां मंगलवार को कहा, "एक अस्थायी अनुच्छेद 370 जो महिलाओं को संपत्ति के अधिकार से वंचित कर रहा था, जो अनुसूचित जाति के लोगों को राज्य के संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर रहा था, जो राज्य के प्रत्येक जनजातीय को भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों से वंचित कर रहा था, अब इसे हटाए जाने के बाद हम उन अधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम हैं जो हम प्राप्त कर सकते हैं।"

कोलंबिया विश्वविद्यालय के दीपक एंड नीरा राज सेंटर में भारतीय आर्थिक नीति के संबंध में व्याख्यान में उन्होंने यह बातें कहीं। उनसे एक रिपोर्ट पर सवाल किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बताया है कि राज्य में 'लॉकडाउन' की वजह से करीब एक अरब डॉलर की आर्थिक हानि हुई है।

सीतारमण ने कहा, "मैं नहीं जानती हूं कि 'लॉकडाउन' का मतलब क्या होता है।"

उन्होंने कहा कि जब इंटरनेट और संबंधित संचार सुविधाओं पर पाबंदी थी तब भी आर्थिक गतिविधियां सामान्य तरीके से चल रही थीं।

उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में सेब सबसे बड़ा आर्थिक कारण रहा है और इस बार से पहले कभी भी निजी व सरकारी खरीददारों ने इतने सेब नहीं खरीदे थे।

उन्होंने कहा, "अगर लोग जम्मू एवं कश्मीर की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हैं तो उन्हें अब खुश होना चाहिए क्योंकि अब कम से कम लोग भारत के दूसरे राज्यों की तरह समान सुविधाएं और विकास के लिए ज्यादा निवेश पाने में सक्षम होंगे।"

इंटरनेट पर पाबंदी की वजह बताते हुए सीतारमण ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर में हस्तक्षेप कर रहा है और सुरक्षाबलों पर पथराव करने के लिए लोगों को धन दे रहा है।

उन्होंने कहा, "इसलिए हमें इंटरनेट के बारे में निर्णय करना पड़ा ताकि अफवाह न फैले।"


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