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घर के पास नहीं था कोई स्कूल, पढ़ने के लिए जाना पड़ता था काफी दूर : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बचपन में उनके घर के समीप कोई स्कूल नहीं था

घर के पास नहीं था कोई स्कूल, पढ़ने के लिए जाना पड़ता था काफी दूर : राष्ट्रपति
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बचपन में उनके घर के समीप कोई स्कूल नहीं था। ऐसे में उन्हें पढ़ने के लिए घर से काफी दूर जाना पड़ता था।

सोमवार को राष्ट्रपति ने इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस समय पास में स्कूल न होने के कारण कई बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते थे। आज यह स्थिति नहीं है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को यह बात ओडिशा के मयूरभंज जिले के कुलियाना में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय का उद्घाटन करते हुए कही।

बच्चों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह भी उन्हीं की तरह साधारण पृष्ठभूमि से आती हैं। अपनी शिक्षा के कारण उन्हें नागरिकों की सेवा करने का अवसर मिला। शिक्षा ही सफल बना सकती है। एक शिक्षित व्यक्ति के रूप में वे अपने विकास के साथ-साथ देश और समाज की प्रगति में भी योगदान दे सकते हैं।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय खुलने से अब स्थानीय बच्चों को शिक्षा के अधिक अवसर प्राप्त होंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा, आर्थिक और सामाजिक कल्याण की कुंजी है। उन्होंने अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षित करने की सलाह दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों में रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग, शिक्षा, स्वास्थ्य और ऐसी अन्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के माध्यम से बहुआयामी योजनाएं शुरू की हैं। आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए देश भर में 700 से अधिक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। इन विद्यालयों में देश भर के 3.5 लाख से अधिक आदिवासी छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे और समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकेंगे।


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