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भक्ति, भजन व पूजा पाठ में दिखावा नहीं होना चाहिए, सारी समस्या का हल एक लोटा जल : पं. प्रदीप मिश्रा

शिवजी ने विषपान कर सभी के दुख को दूर किया वैसे ही शिव महापुराण प्रदेश की समस्या दूर करें : डॉ. रमन

भक्ति, भजन व पूजा पाठ में दिखावा नहीं होना चाहिए, सारी समस्या का हल एक लोटा जल : पं. प्रदीप मिश्रा
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रायपुर। श्री शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस को आज कथा की शुरुआत प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, रायपुर के सांसद सुनील सोनी, विधायक कुलदीप जुनेजा, विधायक अनिता शर्मा, विधायक विकास उपाध्याय, विधायक अरुण वोरा, वरिष्ठ भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने,राजीव अग्रवाल,विजय अग्रवाल, हनुमान मंदिर के ट्रस्टीगण, आयोजक चंदन अग्रवाल, बसंत अग्रवाल और उनकी समिति के महत्वपूर्ण सदस्यों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने शिव महापुराण कथा स्थल पर पहुंच गए दीप प्रज्वलित कर अपने उद्बोधन में कहा कि शिव महापुराण भक्तों के कष्टों को दूर करने वाला है और अंतरराष्ट्रीय कथाकार प्रदीप मिश्रा जी ने भक्तों को शिव महापुराण की घुट्टी ऐसी पिलाई है कि चारों तरफ का वातावरण शिवमय हो गया है जितने भी भक्त बैठे हैं उनके मन में बैठे भगवान भोलेनाथ को मेरा प्रणाम है निश्चित ही शिव महापुराण की कथा से प्रदेश में तरक्की और खुशहाली आएगी और छत्तीसगढ़ की समस्या दूर होगी ।

रायपुर के दही.हांडी मैदान गुढिय़ारी में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक आचार्य पंडित प्रदीप मिश्रा के श्रीमुख से लाखों भक्तों ने शिव महापुराण की कथा का रसपान किया।

कथाकार आचार्य प्रदीप मिश्रा ने बताया कि इल्लामा गारू के द्वारा किये गये भगवान शिव की पूजा और प्रार्थना नारद जी तक गया और नारद जी ने इल्लमा गारू के लिए माता पार्वती के पास जाकर प्रार्थना की और पार्वती माता को इल्लामा गारू के मृत बच्चे की जानकारी दी नारद जी ने पार्वती माता से कहा कि इतनी भक्ति और भजन करने के बाद भी इनक बच्चा मरा हुआ कैसे पैदा हुआए तब पार्वती माता ने भगवान भोलेनाथ सेे कहा आपके भक्त का बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ है आप उस मरे हुए बच्चेे को जीवित कर सकते हैं।

माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से कहा जैसे गणेश और कार्तिकेय को आपने जीवनदान दिया है वैसे ही उस बच्चे को जीवित करना है तब भगवान भोलेनाथ ने अग्नि देव को वहा भेजा अग्निदेव ने कुछ मरे हुए बच्चे के चारों ओर अग्नि प्रकट किया उससे भी उस बच्चे के प्राण नहीं आए तब भगवान भोलेनाथ चंपक वन में खुद प्रकट हुए और उस बच्चे में प्राण डालें तब जाकर वह बच्चा जीवित हुआ।

दूसरे दिन उसी स्थान पर खेलते हुए वह बच्चा मिला वापस दूसरे दिन जब उनके माता.पिता उसी रास्ते से काशी विश्वनाथ भगवान भोलेनाथ की नगरी जाा रहे तब उनकी माता ने उस बच्चेे को अपने गले से लगा लिया और भगवान भोलेनाथ काशी विश्वनाथ को बहुत.बहुत धन्यवाद दिया वंदन किया और वही बच्चा आगे चलकर छत्तीसगढ़ मेंं ही नही बल्कि पूरे भारत और विश्वव में स्वामी वल्लभाचार्य जी के रूप में प्रसिद्ध हुए महाराज जी ने कथा में आगे बताया कि जैसे काशी विश्वनाथ मे अरण्य वन और महाकाल की नगरी में महाकाल वन है।

उसी तरह छत्तीसगढ़ में चंपा वन है जिसमें भगवान भोलेनाथ का वास है जो आज चंपारण्य के रूप में जाना जाता है छत्तीसगढ़वासी धन्य है जहां उनके छत्तीसगढ़ में भगवान भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए थे कथा में आगे बताते हुए महाराज जी ने बताया कि एक गौमाता उस चंपा वन में अंदर चली जाती थी और 15.20 दिन में उस भारी घोर वन से वापस आती थी मगर उस वन में किसी की जाने की हिम्मत नहीं थी पर एक दिन हिम्मत करके वह ग्वाला जो है उस चंपा वन के अंदर गया तो वहां पर उन्होंने देखा कि गौ माता जो है एक शिवलिंग के ऊपर अपनी दूध की धार गिरा रही थी।

उस शिवलिंग में उस ग्वाले को भगवान शिव माता पार्वती और गणेश जी के दर्शन हुए ग्वाला वहां से दौड़ते भागते अपने गांव गया और गांव वालों को यह खबर दिया पूरे गांव वाले वहां पर पहुंचे और वहां पर उस शिवलिंग में भगवान के दर्शन किए तब आकाशवाणी हुई कि मैं इस चंपक वन में साक्षात विराजमान रहूंगा तब से उस स्थान पर भगवान भोलेनाथ चंपेश्वर महादेव के रूप में पूजे जाने लगे ।

महाराज जी ने आगे बताया कि सारी समस्या का हल एक लोटा जल पर वह जल भगवान भोलेनाथ को छल से किसी के द्वेष भाव रखकर या बराबरी करने के लिए नहीं चढ़ाना चाहिए बल्कि अपने मन को साफ कर चढ़ाना चाहिए किसी से द्वेष घृणा किए बिना भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाना चाहिए उसी जल से सारी समस्याओं का हल होगा और छल पूर्वक किया गया पूजा पाठ और भगवान भोलेनाथ को चढ़ाया गया जल भगवान को स्वीकार नहीं होता शंकर जी को जल हम इसलिए चढ़ाते हैं कि पूर्व में किए गए कर्म को हम जो इस मनुष्य रूपी शरीर में भोग रहे हैं उसे काटने के लिए हम शिव जी को एक लोटा जल चढ़ाते हैं।


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