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लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला

2024 के लोकसभा चुनावों के लिए तमिलनाडु में राजनीतिक सीटों की साझेदारी के संबंध में अभी तक विभिन्न पार्टियों के बीच समझौते पूरे नहीं हुए हैं

लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
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- के आर सुधामन

तमिलनाडु में गठबंधन को लेकर अभी साफ तस्वीर सामने आना बाकी है। परंपरागत रूप से द्रमुक के साथ रहने वाली कुछ छोटी पार्टियों ने द्रविड़ पार्टी के साथ जाने का अपना फैसला दोहराया है। अब तक डीएमके ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 1 लोकसभा सीट दी है। दूसरी सीट कोंगुनाडुमक्कलदेसियाकाची को दिए गए। ये डीएमके के दो छोटे साझेदार हैं, जिन्होंने पिछली बार भी गठबंधन का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ा था।

2024 के लोकसभा चुनावों के लिए तमिलनाडु में राजनीतिक सीटों की साझेदारी के संबंध में अभी तक विभिन्न पार्टियों के बीच समझौते पूरे नहीं हुए हैं। राज्य में आधी सदी या उससे भी अधिक समय से राजनीति दो द्रविड़ पार्टियों द्रमुक और अन्नाद्रमुक के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कुछ साल पहले द्रमुक के संरक्षक एम करुणानिधि और अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे जयललिता की मृत्यु के बाद से दोनों दलों, जिनके पास लगभग 30 से 35 प्रतिशत वोट शेयर थे, निश्चित रूप से कम हो गये हैं। तब से दोनों द्रविड़ पार्टियों का व्यक्तिगत वोट शेयर घटकर 20-25 प्रतिशत रह गया है और जैसा कि हमने पिछले कुछ चुनावों में देखा था, जो भी पार्टी बेहतर गठबंधन बनाती है, वह जीतती है, चाहे वह तमिलनाडु विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का।

तमिलनाडु में सत्ता में आने वाले पार्टी संयोजन को लगभग 40 प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं, इसलिए चुनाव जीतने के लिए आवश्यक अतिरिक्त 15 से 20 प्रतिशत वोट गठबंधन सहयोगियों से आना होता है, जिसमें से कोई भी पार्टी शामिल हो जाती है। राष्ट्रीय पार्टियों ने अतीत में किसी न किसी द्रविड़ पार्टियों के साथ गठबंधन किया है, जिससे उनके प्रति कोई वैचारिक बाधा नहीं होने का संकेत मिलता है। हर चुनाव में एक तीसरा मोर्चा भी होता है, जिसे लगभग 15-20 प्रतिशत वोट मिलते हैं क्योंकि तमिलनाडु की आबादी का एक प्रतिशत ऐसा है, जो द्रविड़ पार्टियों या उनके संयोजन में से किसी को वोट नहीं देता है।

पिछले कुछ समय से तमिलनाडु के चुनावों का यही गणित रहा है। हालांकि कांग्रेस के 1967 में राज्य की सत्ता से बाहर होने पर भी हर निर्वाचन क्षेत्र में उसके कुछ प्रतिबद्ध मतदाता हैं और वे लगभग 8-12 प्रतिशत वोट बनाते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि हवा किस तरफ है। इसलिए कांग्रेस जिस द्रविड़ पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसे वर्तमान परिस्थितियों में चुनाव जीतने में बढ़त हासिल होती है।

हाल ही में, अन्नामलाई के नेतृत्व में, भाजपा तमिलनाडु में एक बड़ी ताकत बनकर उभर रही है, खासकर युवाओं के बीच, जो दो द्रविड़ पार्टियों के बढ़ते भ्रष्टाचार और जाति-आधारित राजनीति से तंग आ चुके हैं। पिछले 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर करीब 4-5 फीसदी था, इस बार 14-15 फीसदी तक जाने की उम्मीद है। भाजपा, जिसने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी द्रविड़ पार्टी के साथ गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी, दिवंगत फिल्मस्टार से राजनेता बने विजयकांत की पार्टी जैसी कुछ छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर सकती है और इससे अतिरिक्त 10-12 सीटें मिल सकती हैं।

फिलहाल डीएमके इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन कांग्रेस के साथ सीटों की साझेदारी पर चर्चा अभी शुरू नहीं हुई है। अगर राज्य में बड़ा साझेदार होने के नाते डीएमके सीट बंटवारे की कवायद में सख्त रुख अपनाती है, तो कांग्रेस के सख्त रुख अपनाने की संभावना हमेशा बनी रहती है। एआईएडीएमके ने कुछ समय पहले भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया है और बार-बार यह स्पष्ट किया है कि वह कम से कम 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा से हाथ नहीं मिलायेगी।
अन्नाद्रमुक को भाजपा का कनीय साझेदार होने मंजूर नहीं है क्योंकि उसे डर है कि अंतत: पार्टी भाजपा द्वारा हाशिए पर धकेल दी जायेगी जैसा कि महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में शिवसेना और जद (यू) के साथ हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम और शशिकला के भतीजे टीटीवीदिनाकरन के नेतृत्व वाले अन्नाद्रमुक के अलग-अलग समूहों के भाजपा के साथ जाने की संभावना के संकेत हैं।

तमिलनाडु में गठबंधन को लेकर अभी साफ तस्वीर सामने आना बाकी है। परंपरागत रूप से द्रमुक के साथ रहने वाली कुछ छोटी पार्टियों ने द्रविड़ पार्टी के साथ जाने का अपना फैसला दोहराया है। अब तक डीएमके ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 1 लोकसभा सीट दी है। दूसरी सीट कोंगुनाडुमक्कलदेसियाकाची को दिए गए। ये डीएमके के दो छोटे साझेदार हैं, जिन्होंने पिछली बार भी गठबंधन का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ा था। इस हफ्ते कांग्रेस से बातचीत होने की उम्मीद है।आई यूएमएल रामनाथपुरम संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेगी। तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटें हैं तथापुडुचेरी से एक।

अभिनेता से नेता बने कमल हासन, जो मक्कलनीदिमय्यम (एमएनएम) के प्रमुख हैं, ने संकेत दिया है कि वह गठबंधन के लिए बातचीत कर रहे हैं। वह खुद इस बार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं और संकेत हैं कि वह डीएमके गठबंधन के साथ जायेंगे। जाहिर तौर पर वह निर्णय लेने से पहले द्रमुक-कांग्रेस सीट साझाकरण वार्ता के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं।

फिलहाल डीएमकेकांग्रेस, विदुथलाईचिरूथैगलकाची (वीसीके), मारुमलारची द्रविड़ मुनेत्रकड़गम (एमडीएमके), वाम दल समेत अन्य पार्टियों को एकजुट रख रही है और उनके साथ सीट-बंटवारे की बातचीत शुरू कर रही है।

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी, अन्नाद्रमुक, जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर हो गई है, द्रमुक के विकल्प के रूप में पेश करने के लिए एडप्पादी के पलानीस्वामी के तहत अधिक से अधिक पार्टियों को लाने का प्रयास कर रही है। हाल ही में, एडप्पादी ने सोशलडेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) की बैठक में भाग लिया और भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि वे अल्पसंख्यकों के लिए खड़े हैं। उन्होंने दोहराया था कि वे लोकसभा चुनाव या 2026 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भाजपा से हाथ नहीं मिलायेंगे।

अन्नाद्रमुक के प्रमुख नेताओं में से एक सी वीशनमुगम ने पट्टालीमक्कलकाची के संस्थापक डॉ. एस रामदास के साथ बातचीत की और इस बैठक को महत्व दिया जा रहा है क्योंकि राज्य की प्रमुख पार्टियों में से एक पीएमके ने अभी तक गठबंधन पर अपने फैसले की घोषणा नहीं की है। पिछले हफ्ते, विशेष कार्यकारी बैठक के दौरान, पीएमके ने राज्य और देश दोनों के कल्याण की परवाह करने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के अपने फैसले सहित कई प्रस्ताव पारित किये थे।

एआईएडीएमके के ये कदम उठाने के साथ ही भाजपा भी गैर-द्रविड़ नेताओं से बातचीत कर रही है। जबकि अन्नाद्रमुकपीएमके और प्रेमलताविजयकांत के नेतृत्व वाली देसियामुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) के साथ भी बातचीत कर रही है, सूत्रों ने कहा कि बाद वाले के भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने की संभावना है। डीएमडीके की कार्यकारी और सामान्य परिषद की बैठक के दौरान, प्रेमलता ने कहा था कि वे किसी भी पार्टी के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इससे पहले, उन्हें लिखित रूप में राज्यसभा सीट का वायदा करना होगा।

डीएमडीके के अलावा, टीटीवीदिनाकरन की अम्मा मक्कलमुनेत्रकड़गम, टीआरपारीवेंधर की इंडिया जनानायगाकाची (आईजेके), और के कृष्णास्वामी की पुथियातमिड़गम जैसी अन्य पार्टियां हैं जिनके एनडीए का हिस्सा बनने की संभावना है। पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता ओ पन्नीरसेल्वम संभवत: भगवा पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। जी के मूपनार के बेटे जी के वासन की अगुवाई वाली तमिल मनीला कांग्रेस भी भाजपा के साथ जा सकती है। वह एआईएडीएमके के साथ भी जा सकते हैं।

फिलहाल गठबंधन को लेकर तस्वीर अभी भी साफ नहीं है और सभी संभावनाएं अभी भी खुली हैं। उन्हें आकार लेने में कुछ सप्ताह या उससे भी अधिक समय लग सकता है। लेकिन एक बात तो साफ है कि लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। एक का नेतृत्व द्रमुक, दूसरे का नेतृत्व अन्नाद्रमुक और तीसरे का नेतृत्व भाजपा करेगी।

अगर डीएमके कांग्रेस के साथ जाती है, तो कई छोटी पार्टियां भी उसके साथ चली जायेंगी, जिससे यह एक मजबूत गठबंधन बन जायेगा। उस स्थिति में, अन्नाद्रमुक को मुख्य नुकसान होने की संभावना है। लेकिन तमिलनाडु में द्रमुक शासन के खिलाफ नाराजगी भी बढ़ रही है और यह मुख्य रूप से 2026 के राज्य विधानसभा चुनावों में दिखाई देगी। हालांकि, भाजपा राज्य में एक उभरती हुई ताकत होगी, भले ही उसे लोकसभा सीटें न मिलें। लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों में तस्वीर अलग हो सकती है, अगर यही रुझान जारी रहा और द्रविड़ पार्टियों में से एक हाशिए पर चली जायेगी।


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