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पाकिस्तान में आईएसआई, सेना और आतंकवादियों में कोई विशेष अंतर नहीं : तुहिन सिन्हा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान को फिर से स्पष्ट चेतावनी दी। उन्होंने तीन सख्त नियमों की घोषणा की है

पाकिस्तान में आईएसआई, सेना और आतंकवादियों में कोई विशेष अंतर नहीं : तुहिन सिन्हा
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान को फिर से स्पष्ट चेतावनी दी। उन्होंने तीन सख्त नियमों की घोषणा की है, जो आने वाले समय में भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति की नींव बनेंगे। उनकी घोषणा पर भाजपा प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने अपनी बातें रखीं।

तुहिन सिन्हा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक एक भी आतंकवादी और एक भी आतंकवाद का प्रायोजक जीवित है। इस लड़ाई की चुनौती और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि पाकिस्तान में आईएसआई, सेना और आतंकवादियों के बीच कोई विशेष अंतर नहीं है। वर्तमान में 'ऑपरेशन सिंदूर' को अस्थायी रूप से रोका गया है, ताकि पाकिस्तान को एक अवसर दिया जा सके कि वह अपनी हरकतों में सुधार लाए और एक सभ्य राष्ट्र की तरह व्यवहार करे। अगर पाकिस्तान ने फिर से कोई आतंकी कार्रवाई की, जिससे भारत को कोई क्षति पहुंची, तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मोदी सरकार ने देश के अंदर नक्सल आतंक को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है, उसी प्रकार वैश्विक आतंकवाद को भी जड़ से उखाड़ने का संकल्प लिया गया है। पाकिस्तान की सेना और आईएसआई में छिपे आतंक के सरपरस्तों को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। पहले भारत अमेरिका से शिकायत करता था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती थी। अब भारत ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में समझाया है, जो उसे शायद समझ में आ रही है। 1999 में कंधार विमान अपहरण और 2002 में पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या जैसे मामलों में शामिल सौ से अधिक आतंकवादियों का अब हिसाब किया जा चुका है। यह संकेत है कि भारत अब पीछे हटने वाला नहीं है। भारत और विश्व अब इन हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेगा और उन्हीं की भाषा में जवाब देगा।

बसवराज के एनकाउंटर पर उन्होंने कहा कि यह एक उचित कार्रवाई थी। बसवराज एक खूंखार नक्सली था, जिसकी कई वर्षों से तलाश थी। उसके मारे जाने से यह साफ हो गया है कि देश में नक्सली गतिविधियां अब अपने अंतिम चरण में हैं।

उन्होंने बताया कि 31 मार्च 2026 तक भारत को पूर्ण रूप से नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य है। वर्ष 2014 में जहां सौ से अधिक जिले नक्सल हिंसा से प्रभावित थे, अब यह संख्या घटकर केवल 12 रह गई है, जो कि मोदी सरकार की बड़ी सफलता है।

उन्होंने माओवादी और नक्सली तत्वों को लेकर कहा कि ये पूर्णतः देशद्रोही हैं। लेकिन, जो हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनके लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं और पुनर्वास योजनाएं भी तैयार हैं। जो हिंसा का रास्ता नहीं छोड़ते, गरीबों और आदिवासियों की हत्या करते हैं, वे देश के दुश्मन हैं और उनके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाएगा, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के साथ किया जाता है।


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