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यूएनएससी में कश्मीर पर एक और चर्चा की संभावना नहीं

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से बीजिंग के इशारे पर जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे पर एक और चर्चा कराए जाने की संभावना नहीं

यूएनएससी में कश्मीर पर एक और चर्चा की संभावना नहीं
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नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से बीजिंग के इशारे पर जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे पर एक और चर्चा कराए जाने की संभावना नहीं है। यह जानकारी शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने साझा की।

भारत की ओर से पांच अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद चीन ने कश्मीर मुद्दे पर एक चर्चा की मांग की थी। हालांकि यूएनएससी सदस्यों ने सार्वजनिक चर्चा के लिए चीन की इस मांग को खारिज कर दिया है। इसके बजाय संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद एक प्रावधान के तहत कश्मीर पर एक निजी चर्चा के लिए सहमत हुआ, जिसमें मतदान की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि बीजिंग यूएनएससी में एक और चर्चा कराए जाने की कोशिश कर रहा है।

चीनी विदेश मंत्री वांग यी इस सप्ताह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा वार्ता करने के लिए भारत का दौरा कर रहे हैं। संयोग से इसी समय नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस कानून में पड़ोसी इस्लामिक राष्ट्रों में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा यूएनएससी को भारत के बारे में लिए गए शिकायती पत्र के बाद ही कश्मीर पर एक और चर्चा की मांग की है।

भारत की ओर से कश्मीर के संबंध में लिए गए फैसले के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और वह अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लगातार यह साबित करने की कोशिश में रहता है कि भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक कदम उठाए गए हैं।

सूत्रों ने कहा कि यूएनएससी के स्थायी सदस्यों में फ्रांस और ब्रिटेन के साथ ही गैर-स्थायी सदस्यों जर्मनी और पोलैंड ने भी कश्मीर मुद्दे पर एक और चर्चा कराए जाने के संबंध में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

एक सूत्र ने कहा कि कश्मीर पर चर्चा कराए जाने की प्रासंगिकता अगस्त में तो थी, मगर अब चूंकि घाटी में हालात सामान्य हो चुके हैं और वहां अधिकांश सेवाओं को बहाल कर दिया गया है, इसलिए अब इस संबंध में ज्यादा प्रासंगिकता नहीं बची है।


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