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देश में राजशाही नहीं कि सत्ता हस्तांतरण के लिए 'सेंगोल' का इस्तेमाल हो : कांग्रेस

गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमित पाटकर ने मंगलवार को कहा कि देश में राजशाही नहीं है कि सत्ता स्थानांतरण के लिए 'सेंगोल' का इस्तेमाल किया जाए

देश में राजशाही नहीं कि सत्ता हस्तांतरण के लिए सेंगोल का इस्तेमाल हो : कांग्रेस
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पणजी। गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमित पाटकर ने मंगलवार को कहा कि देश में राजशाही नहीं है कि सत्ता स्थानांतरण के लिए 'सेंगोल' का इस्तेमाल किया जाए। सत्ता हस्तांतरण का अधिकार उन लोगों के पास है, जिन्होंने कर्नाटक में भाजपा को बाहर का दरवाजा दिखा दिया है। अमित पाटकर ने यह बयान मडगांव में गोवा स्थापना दिवस समारोह के दौरान दिया। इस मौके पर पूर्व सांसद एडुआडरे फलेरियो, सांसद फ्रांसिस्को सरदिन्हा, अल्डोना के विधायक कार्लोस अल्वारेस फरेरा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एम.के. शेख, अमरनाथ पणजीकर और अन्य मौजूद थे।

अमित पाटकर ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में कहा, यह राजशाही नहीं है कि सेंगोल के जरिए सत्ता का हस्तांतरण होगा, यह अधिकार उन लोगों के पास है, जिन्होंने कर्नाटक में भाजपा को बाहर का दरवाजा दिखा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया, इसका सबक उन्हें मिल गया है।

पाटकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के अधिकार से वंचित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हस्तांतरण का अभ्यास किया, वह कोई राजा नहीं हैं।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि भाजपा ने एक फर्जी कहानी फैलाई है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की वजह से गोवा की आजादी में देरी हुई। यह गलत है और वे हमेशा गलत सूचना फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा लोगों को धर्म, भाषा और अन्य मुद्दों पर बांट रही है। मोदी काला धन वापस लाने में विफल रहे और अपने सभी वादों से पलट गए। उनके जुमलों को उजागर करने और हमारे देश की रक्षा करने का समय आ गया है।

उन्होंने कहा कि गोवा की संस्कृति और शांति की रक्षा के लिए 2024 में दोनों लोकसभा सीटें जीतने की जरूरत है। एडुआडरे फलेरियो ने कहा कि आजादी के बाद गोवा में काफी विकास हुआ है।

फ्रांसिस्को सरदिन्हा ने कहा कि गोवा के लिए राज्य का दर्जा एक महान दिन है। हमने विलय के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी पहचान को संरक्षित रखा। बाद में राजीव गांधी के प्रयासों से हमारी मातृभाषा कोंकणी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया और हमें राज्य का दर्जा भी मिला।


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