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भाजपा शासित त्रिपुरा में पूरी तरह अराजकता, कुशासन है : माणिक सरकार

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता ने इस बात का भी उल्लेख किया कि स्वैच्छिक रक्तदान में त्रिपुरा कभी देश का नंबर एक राज्य था

भाजपा शासित त्रिपुरा में पूरी तरह अराजकता, कुशासन है : माणिक सरकार
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अगरतला। पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा नेता माणिक सरकार ने रविवार को कहा कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद मार्च 2018 में भाजपा के सत्ता में आने और पुलिस को कठपुतली बनाकर रखने के बाद से त्रिपुरा में पूरी तरह से अराजकता और कुशासन व्याप्त है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्‍सवादी (सीपीआई-एम) के पोलित ब्यूरो सदस्य सरकार ने कहा कि पिछले दो वर्षों में (जून 2019 से) लिंचिंग की नौ घटनाओं में कम से कम 10 लोग मारे गए हैं और जो पांच लोग भीड़ हिंसा से बच भी गए उनकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई।

वामपंथी नेता ने मीडिया को बताया, "भाजपा सरकार के उदासीन रवैये और पुलिस की भूमिका कठपुतली माफिक होने के चलते विपक्षी पार्टी कार्यकर्ताओं, समर्थकों और पार्टी कार्यालयों पर हमले और अत्याचार होते रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने मार्च के तीसरे सप्ताह में विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी दलों के खिलाफ राजनीतिक हिंसा को रोकने का आश्वासन दिया था। लेकिन सदन में सीएम के बयान के बाद से विपक्षी दल के लोगों पर, ज्यादातर माकपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर शारीरिक हमले की 200 से अधिक घटनाएं हुईं। इसके अलावा, इस दरमियान विपक्षी दलों की दुकानों और घरों पर 152 हमले हुए और 17 पार्टी कार्यालयों पर भी हमले दर्ज किए गए हैं।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता ने इस बात का भी उल्लेख किया कि स्वैच्छिक रक्तदान में त्रिपुरा कभी देश का नंबर एक राज्य था, लेकिन रक्तदान शिविर आयोजित करने के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर भी हमला किया।

तीन साल तीन महीने पहले भाजपा के सत्ता में आने तक 20 साल तक मुख्यमंत्री रहे सरकार ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने पीपल्स रिलीफ वालंटियर्स (पीआरवी) पर भी हमला किया था, जब वे कोविड-19 महामारी की रोकथाम के खिलाफ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे थे।

वाम समर्थित संगठन पीआरवी राज्य भर में महामारी से प्रभावित राहत और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता रहा है।

उन्होंने कहा, "हमने विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों और अत्याचारों को रोकने के लिए कई मौकों पर राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री से संपर्क किया है, लेकिन इन पर कोई लगाम कसा नहीं जा रहा है।"

भाजपा शासित राज्य में कुशासन के कारण पूरी तरह से अराजकता व्याप्त है। जब 12 मई को वाम दलों के एक प्रतिनिधिमंडल संग राज्यपाल की मुलाकात हुई थी, तो उन्होंने आश्वासन दिया था कि अब और राजनीतिक हिंसा नहीं होगी, लेकिन उसके बाद भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकृति के 70 हमले हुए हैं।

दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में आपातकाल की स्थिति की घोषणा की थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने औपचारिक रूप से आपातकाल की घोषणा किए बिना ही उससे भी कहीं अधिक कर गुजर गए हैं, जैसा 1975 से 1977 तक 21 महीने की अवधि के दौरान हुआ था।


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