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अफरातफरी मची है कश्मीर का त्याग करने वालों में, अमरनाथ यात्री, टूरिस्ट, छात्रों के साथ ही अब प्रवासी श्रमिक भी दौड़ में

सरकारी फरमान के बाद कश्मीर का त्याग करने वालों में अभी भी अफरातफरी का माहौल

अफरातफरी मची है कश्मीर का त्याग करने वालों में,  अमरनाथ यात्री, टूरिस्ट, छात्रों के साथ ही अब प्रवासी श्रमिक भी दौड़ में
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जम्मू। सरकारी फरमान सरकारी फरमानके बाद कश्मीर का त्याग करने वालों में अभी भी अफरातफरी का माहौल है। इस दौड़ में अमरनाथ श्रद्धालुओं और पर्यटकों के साथ ही अब बाहरी राज्यों के छात्र तथा प्रवासी श्रमिक श्रमिक भी शामिल हो गए हैं जो जल्द से जल्द कश्मीर को छोड़ देना चाहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो उन्हें बाहर निकालने का सिलसिला सरकारी तौर पर अंजाम दिया जा रहा है।

शुक्रवार को घाटी में जारी की गई एडवाइजरी के बाद से ही अमरनाथ यात्रियों, पर्यटकों और कश्मीर में पढ़ रहे बाहरी छात्र-छात्राओं को यहां से रवाना करने का सिलसिला जारी है। शनिवार तड़के एनआईटी श्रीनगर से करीब 800 छात्र-छात्राओं को बस के जरिये श्रीनगर से जम्मू भेजा गया। जबकि अमरनाथ की यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को घाटी से वापिस जाने की सलाह के बाद श्रद्धालुओं ने अपने घरों को वापस जाना शुरू कर दिया है।

यही नहीं लंगर आयोजक व सेवक भी अपने लंगर समेट कर वापिस जा रहे हैं। कई श्रद्धालु व लंगर सेवक आज शनिवार को जम्मू पहुंच गए। ये श्रद्धालु व लंगर सेवक समय से पहले यात्रा से लौटने के कारण मायूस भी नजर आए। सभी श्रद्धालुओं को एक दिन पहले ही गृह विभाग ने घाटी छोड़कर वापिस घरों को लौटने के लिए कहा था।

इसके बाद आनन फानन में बालटाल व पहलगाम में लगी दुकानें श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए लगाए गए टेंट व लंगर सभी ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया। जम्मू पहुंचे लंगर सेवक ने बताया कि दो दिन पहले से ही कुछ स्थानीय दुकानदारों ने अपनी दुकानों को बंद कर दिया था। उनसे भी लंगर बंद करने के लिए कहा गया। उन्होंने भी ट्रक बुलवाए और अपना सामान इनमें लादकर यहां आ गए हैं।

उन्होंने बताया कि वह पूरे डेढ़ महीने का सामान लेकर लंगर लगाने के लिए गए हुए थे लेकिन बीच में ही वापिस आने के कारण वह मायूस हैं। उन्हें लग रहा है कि इस बार उनकी सेवा व्यर्थ हो गई।

उन्होंने कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उन्हें वापिस क्यों भेज दिया गया। वहीं बिना दर्शन के ही वापिस लौटे गुजरात के बिट्ठल भाई का भी यही दर्द था। उनका कहना था कि वे अभी बालटाल ही पहुंचे थे कि उन्हें वहां से वापिस लौटने के लिए कह दिया गया।

उनके लिए यह सबसे दुखद था कि भोले के चरणों में पहुंचकर वे उनके दर्शन नहीं कर पाए। वे गाड़ी लेकर बालटाल से ही वापिस लौट आए। इस दौरान श्रीनगर में काफी जाम लगा हुआ था और पेट्रोल पंप पर लंबी कतारें लगी हुई थी। बड़ी मुश्किल से वे जम्मू पहुंचे हैं। अब यहां से वापिस गुजरात लौट जाएंगे।

यात्रा के आधार शिविर भगवती नगर को भी प्रशासन ने खाली करवाना शुरू कर दिया है। किसी को भी वहां पर अब ठहरने नहीं दिया जा रहा है। इससे वहां ठहरे श्रद्धालुओं में भी रोष है। श्रद्धालुओं का कहना है कि उनके पास इतने रूपये नहीं है कि वे होटलों में रूक सकें और आनन-फानन में घरों में भी लौट नहीं सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन उन्हें यहां पर दस मिनट भी रूकने नहीं दे रहा है।


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