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भारतीय किसान युनियन में संगठन के केंद्रीकरण और मान-सम्मान पर पड़ी दरार, जल्द होगी खाप पंचायत

भारतीय किसान यूनियन जितना किसान आंदोलन के दौरान ताकतवर हुआ, उतनी ही उसमें पड़ी दरार आंदोलन से ही शुरू हुईं

भारतीय किसान युनियन में संगठन के केंद्रीकरण और मान-सम्मान पर पड़ी दरार, जल्द होगी खाप पंचायत
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नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन जितना किसान आंदोलन के दौरान ताकतवर हुआ, उतनी ही उसमें पड़ी दरार आंदोलन से ही शुरू हुईं, लेकिन आंदोलन कमजोर न पड़ जाए इसलिए उस समय कोई पधाधिकारी निकलकर सामने नहीं आ सका। संगठन में दरार और बगावत केंद्रीकरण और मान-सम्मान को लेकर हुई है। राकेश टिकैत और नरेश टिकैत पर आरोप लगने लगा है कि स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के उसूलों से भटक रहे हैं, जिसका खामियाजा आज किसानों को भुगतना पड़ रहा है, वहीं खाप चौधरियों और भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने सरकार पर साजिश के चलते भारतीय किसान यूनियन के संगठन को दो फाड़ करने का भी आरोप लगाया है।

इसके अलावा गठवाला खाप के चौधरी पर भी कई खापों मे नारजगी सामने आ रही हैं। इसलिए खापों को एक साथ लाने और सरकार की साजिश में न फसने को लेकर नरेश टिकैत और राकेश टिकैत 29 तारीख को होने वाली एक सर्व खाप पंचायत में हिस्सा लेंगे, जिसमें इन सभी मुद्दों को रखा जाएगा और यह भी उम्मीद लगाई जा रही है कि गठवाल खाप के चौधरी पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

इसके अलावा किसान युनियन संगठन को मजबूत करने के लिए जल्द एक नई रणनीति पर भी काम करेगा, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्या सामने नहीं आये। जानकारी के अनुसार, संगठन जल्द एक कमिटी का गठन करेगा जो जिला स्तर पर अपने अध्यक्षों का चुना करेगी और संगठन में संघर्ष करने वाले लोगों का सम्मान रखेगी।

इससे सीधे तौर पर राकेश टिकैत पर एक व्यक्ति को चुनने का आरोप भी नहीं लगेगा और जिला स्तर पर जो काम करेगा उसको अपने संघर्ष का फल भी मिलेगा।

भाकियू अराजनैतिक, अध्यक्ष राजेश चौहान (नया बना संगठन) भी खुद को अब मजबूत करने में जुटा हुआ है और अपने साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रहा है, इनसब के बावजूद संगठन से अलग हुए सभी नेता एक दूसरे पर आरोप भी लगा रहे हैं और खुद को किसानों के हित में काम करने के लिए जोर देने की बात कर रहे हैं।

यूनियन के पधाधिकारीयों का मानना है कि, जिस हिसाब से संघर्ष लोगों ने किया, उस संघर्ष के मुताबिक, उतना सम्मान नहीं मिल सका। यही कारण रहा कि आंदोलन के दौरान ही लोगों में संघठन में नाराजगी बढ़ने लगी और आज युनियन दो गुटों में बट गया है।

दूसरी ओर संगठन में कुछ लोग चाहते थे कि विधानसभा चुनाव लड़ा जाना चाहिए ताकि किसानों का हित हो सके इसपर अंदर खाने विचार भी हुआ, लेकिन तमाम विचारों के बाद यह निर्णय लिया गया कि संगठन जितना मजबूत बिना चुनाव लड़े हैं। उतना चुनाव लड़ने के बाद नहीं हो सकेगा क्यूंकि इससे पहले भी संगठन के कुछ लोगों द्वारा चुनाव लड़ा गया और बुरी तरह हार का सामना भी करना पड़ चुका है।

संगठन दो गुटों में बटने से ठीक एक दिन पहले यानी 14 मई को नाराज पधाधिकारियों की भारतीय किसान युनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के साथ बैठक भी हुई, बैठक में इस बात को साफ रखा गया की संगठन से कुछ लोग अलग होना चाहते हैं, लेकिन बंद कमरे की बैठक में राकेश टिकैत ने नाराज लोगों से नया संगठन न बनाने की अपील की।

बैठक के आखिर में यह सहमति बन भी गई थी की 15 मई को अलग होने का एलान नहीं किया जायेगा और सप्ताभर बाद फिर बैठक कर इस मसले का निपटारा होगा, लेकिन रात 11 बजे तक स्तिथि अचानक से बदली और सगठन दो गुटों में बट गया।

हालांकि संगठन के सूत्रों की मानें तो, कुछ लोग अभी भी चाहते हैं की संगठन दो गुटों में ना बटे और पहले की तरह एक हो जाए, ताकि किसान हितों की बात हो सके। वहीं अलग हुए संगठन हमेशा किसानों के मुद्दे पर एक दूसरे का समर्थन करते रहेंगे।

भारतीय किसान यूनियन से वर्षों तक जुड़े रहे और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके एक पधाधिकारी ने बताया कि, 13 महीने के आंदोलन के दौरान कुछ लोगों एक तरफ कर दिया गया, कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई, बस आंदोलन में आते रहे यही उनके लिए (राकेश टिकैत) सबकुछ था और लोग दूसरों की बातों में भी आने लगे थे। आज जितने लोग संगठन से अलग होकर एक नया संगठन बना चुके हैं सबकी यही नाराजगी हैं की उनका सम्मान नहीं रखा गया।

संगठन में नाराजगी इस बात पर भी थी की लोग बिना काम किए अपने आप को नेताओं के साथ तस्वीर खिंचा कर बड़ा साबित करने में लगे थे। जिस कारण जो लोग काम किया करते थे वह पीछे रह गए और खटास पैदा होने लगी। 14 मई को हुई बैठक में राकेश टिकैत द्वारा कहा गया कि संगठन को अलग न किया जाए और यदि किसी को पद की अपेक्षा है तो उसको सामने रखा जाए, लेकिन सभी ने मान-सम्मान की बात को सामने रखा और संगठन में कुछ लोगों को लेकर भी नाराजगी रखी।

हालांकि कुछ लोग इस बात से भी नाराज होकर अलग संगठन में शामिल हुए की उनको यह लगता था की टिकैत परिवार उनके हर कदम में साथ देगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

सूत्रों ने बताया कि, भाकियू अराजनैतिक, (नया बना संगठन) के कुछ पदाधिकारी विधानसभा चुनाव के दौरान लखनऊ स्थिति समाजवादी पार्टी के दफ्तर में नजर आए, क्योंकि वह एक सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, वहीं टिकैत परिवार के एक बड़े सदस्य के कहने पर यह संभव हो सकता था, लेकिन उस व्यक्ति को टिकट नहीं मिला। वहीं एक अन्य वरिष्ठ नेता भी अपने बेटे के लिए सीट मांगने की बात कर रहे थे लेकिन उनके बेटे को भी टिकट नहीं मिल सका था। अलग हुए पदाधिकारियों को यह बात चुनाव के वक्त से ही अखर रही थी।

फिलहाल भारतीय किसान यूनियन से कई अन्य संगठन बने हैं। जिनमें भारतीय किसान यूनियन, अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत, भाकियू (भानु), अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह, भाकियू (अंबावता), अध्यक्ष ऋषिपाल अंबावता, भाकियू (तोमर), अध्यक्ष संजीव तोमर, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन, अध्यक्ष चौधरी हरिकिशन मलिक, भारतीय किसान मजदूर मंच, अध्यक्ष गुलाम मोहम्मद जौला, भारतीय किसान यूनियन (सर्व) अध्यक्ष राजकिशोर पिन्ना, भारतीय किसान संगठन, अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह, राष्ट्रीय किसान यूनियन, अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह प्रमुख, आम किसान संगठन, अध्यक्ष किशन सिह मलिक, भाकियू अराजनैतिक, अध्यक्ष राजेश चौहान।


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