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झारखंड में डीजीपी पद को लेकर केंद्र-राज्य के बीच तकरार कायम, नेता प्रतिपक्ष बोले- रिटायर आईपीएस से काम लेना असंवैधानिक

झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तकरार कायम है

झारखंड में डीजीपी पद को लेकर केंद्र-राज्य के बीच तकरार कायम, नेता प्रतिपक्ष बोले- रिटायर आईपीएस से काम लेना असंवैधानिक
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रांची। झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तकरार कायम है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को एक महीने के दौरान तीसरी बार पत्र लिखकर 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता को डीजीपी पद से कार्यमुक्त करने को कहा है।

वहीं, झारखंड सरकार ने राज्य में इसी वर्ष लागू की गई डीजीपी नियुक्ति की नई नियमावली का हवाला देते हुए उन्हें इस पद पर बनाए रखा है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए तीसरे पत्र में दोहराया गया है कि राज्य सरकार अपनी जिस नियमावली का हवाला देकर आईपीएस अनुराग गुप्ता को सेवा विस्तार देने का दावा कर रही है, वह सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के केस में दिए गए निर्णय की अवहेलना है।

केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया है कि अखिल भारतीय सेवा की नियमावली के अनुसार, 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल, 2025 को सेवानिवृत्त मान लिया गया है और उन्हें इस पद पर बनाए रखना असंवैधानिक है।

झारखंड के प्रधान महालेखाकार ने भी लिखित तौर पर स्पष्ट किया है कि आईपीएस अनुराग गुप्ता की सेवानिवृत्ति की तिथि 30 अप्रैल, 2025 है और उनके सेवा विस्तार के संबंध में उनके कार्यालय को कोई सूचना नहीं प्राप्त हुई है। प्रधान महालेखाकार की ओर से यह भी बताया गया है कि अनुराग गुप्ता की सेवानिवृत्ति की तिथि तक की ही वेतन पर्ची निर्गत की गई है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं झारखंड के प्रधान महालेखाकार के पत्रों का हवाला देते हुए झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने डीजीपी के पद पर अनुराग गुप्ता को बनाए रखने को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया है।

उन्होंने इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को टैग करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''प्रदेश के पुलिस कप्तान का कोई अता-पता नहीं है। डीजीपी का पद पिछले एक महीने से खाली पड़ा है। यह स्थिति दर्शाती है कि सरकार जनता की सुरक्षा के साथ लापरवाही बरत रही है।''

उन्होंने हेमंत सोरेन को सीधे संबोधित करते हुए आगे लिखा, ''केंद्र सरकार द्वारा पत्र भेजे जाने के बावजूद डीजीपी की नियुक्ति न कर संवैधानिक टकराव को बढ़ावा दे रहे हैं। हेमंत जी, शराब घोटाले की तपिश देर-सबेर आप तक पहुंच ही सकती है। अब भी समय है... सही सलाह मान लीजिए। अन्यथा, जिस तरह आपके पूर्व प्रधान सचिव ने आपके लिए मुश्किलें खड़ी की हैं, उसी तरह अनुराग गुप्ता से गैरकानूनी एवं असंवैधानिक तरीके से काम लेना भी आपके लिए घातक साबित हो सकता है।''


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