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मालगाड़ियों से कोयले की चोरी

जिले में रेल परिवहन के माध्यम से भेजे जाने वाले कोयले की चोरी रूकने का नाम नही ले रही

मालगाड़ियों से कोयले की चोरी
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मनेन्द्रगढ़। जिले में रेल परिवहन के माध्यम से भेजे जाने वाले कोयले की चोरी रूकने का नाम नही ले रही है। आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां चलती मालगाड़ी में सवार होकर इस धंधे में लगे लोग कोयला चोरी करते साफ देखे जा सकते हैं। यदाकदा शिकायत पर आरपीएफ के जवान कार्यवाही करते हैं लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान होती है। यही वजह है कि कोयले से भरी बैगनों में कोयला चोरी की घटना थमने का नाम नही ले रही।

कोरिया जिला एवं इससे लगे अनूपपुर जिले में कोयले की दर्जनों खदानें हैं। इन खदानों से निकलने वाले कोयले को सड़क व रेल माध्यम से भेजा जाता है। सड़क माध्यम में भेजा जाने वाला कोयला तिरपाल से ढंका होता है तथा उसमें चोरी की कोई गुंजाइश नही रहती। जबकि रेलवे के माध्यम से भेजे जाने वाले कोयले से भरी बैगन अपने उपभोक्ता तक पहुंचन के पहले ही काफी खाली हो चुकी रहती है। ऐसे में जहां उपभोक्ता को भी काफी नुकसान होता है वहीं संबंधित खदान को भी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने कोई ठोस पहल क्यों नही की जा रही। क्षेत्र से चिरमिरी, बैकुंठपुर, झिलमिली, कोरिया कॉलरी, बरतुंगा, राजनगर, खोंगापानी सहित अनेकों क्षेत्रों से रोजाना कई रैक कोयला रवाना होता है। इन कोयले से भरी बैगनों के आने जाने का समय उन लोगों को पता होता है जो चलती मालगाड़ी में चढ़कर बैगन के ऊपर पहुंच जाते हैं और फिर वहां कोयले के बड़े बड़े टुकड़े छांटकर उन्हें रेलवे पाथ के किनारे गिराते चले आते हैं।

इन कोयले के टुकड़ों को उन्हीं समूहों के लोग इकट्ठा कर फिर उसे बाजार में खपाते हैं। कोयले के अवैध चोरी के इसी आपाधापी में कई बार बैगन में चढ़ते उतरते समय महिला व पुरूष गंभीर रूप से दुर्घटनाओं का शिकार भी हो चुके हैं। यहां तक कि उनकी जान तक चली जाती है। लेकिन उसके बावजूद भी अवैध कारोबार का यह सिलसिला रूकने का नाम नही ले रहा।


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